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Hindi News लाइफस्टाइल सैर-सपाटा छत्तीसगढ़ का आलोर मंदिर जिसके पट खुलते साल में एक बार

छत्तीसगढ़ का आलोर मंदिर जिसके पट खुलते साल में एक बार

रायपुर/जगदलपुर: छत्तीसगढ़ में आलोर, फरसगांव स्थित एक ऐसा दरबार है, जहां का दरवाजा साल में एक ही बार खुलता है। लिंगेश्वरी माता के मंदिर का पट खुलते ही पांच व्यक्ति रेत पर अंकित निशान देखकर

ऐसा मंदिर जिसका पट साल...- India TV Hindi ऐसा मंदिर जिसका पट साल में एक बार खुलता है

रायपुर/जगदलपुर: छत्तीसगढ़ में आलोर, फरसगांव स्थित एक ऐसा दरबार है, जहां का दरवाजा साल में एक ही बार खुलता है। लिंगेश्वरी माता के मंदिर का पट खुलते ही पांच व्यक्ति रेत पर अंकित निशान देखकर भविष्य में घटने वाली घटनाओं की जानकारी देते हैं। रेत पर यदि बिल्ली के पंजे के निशान हों तो अकाल और घोड़े के खुर के चिह्न् हो तो उसे युद्ध या कलह का प्रतीक माना जाता है। पीढ़ियों से चली आ रही इस विशेष परंपरा और लोकमान्यता के कारण भाद्रपद माह में एक दिन शिवलिंग की पूजा होती है। लिंगेश्वरी माता का द्वार साल में एक बार ही खुलता है। बड़ी संख्या में नि:संतान दंपति यहां संतान की कामना लेकर आते हैं। उनकी मन्नत पूरी होती है। इस साल 23 सितम्बर को इस मंदिर का द्वार खुलेगा।

यह मंदिर कोंडागांव जिले के विकासखंड मुख्यालय फरसगांव से लगभग नौ किलोमीटर दूर पश्चिम में बड़ेडोंगर मार्ग पर गांव आलोर स्थित है। गांव से लगभग दो किलोमीटर दूर पश्चिमोत्तर में एक पहाड़ी है, जिसे लिंगाई माता के नाम से जाना जाता है। इस छोटी-सी पहाड़ी के ऊपर एक विस्तृत फैला हुआ चट्टान है। चट्टान के ऊपर एक विशाल पत्थर है।

बाहर से अन्य पत्थर की तरह सामान्य दिखने वाला यह पत्थर अंदर से स्तूपनुमा है। इस पत्थर की संरचना को भीतर से देखने पर ऐसा लगता है, मानो कोई विशाल पत्थर को कटोरानुमा तराशकर चट्टान के ऊपर उलट दिया गया हो। इस मंदिर की दक्षिण दिशा में छोटी-सी सुरंग है, जो इस गुफा का प्रवेश द्वार है। प्रवेश द्वार इतना छोटा है कि बैठकर या लेटकर ही यहां प्रवेश किया जाता है। अंदर इतनी जगह है कि लगभग 25 से 30 आदमी आराम से बैठ सकते हैं।

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