नई दिल्ली: क्या आपने कभी गौर किया है कि जब आपका कोई दोस्त या पड़ोसी अपने प्रेम संबंधों या फिर तनाव की समस्या को लेकर आपके पास आता है तब कितनी जल्दी उसे सुझाव देना शुरू कर देते हैं, चाहे आप खुद कितनी भी मुश्किल में हो या फिर किसी काम को लेकर समस्या से जूझ रहे हों?
एक अध्ययन के मुताबिक, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम अपने दोस्त की समस्या को खुली आंखों से देख सकते हैं और उसे नए सुझाव देते हैं। लेकिन, जब हमारी खुद की समस्या को सुलझाने की बारी आती है तो हम उसे निजी, भावनात्मक और दोषपूर्ण नजरिए से देखते हैं।
जर्नल साइकोलॉजिक साइंस में प्रकाशित नए शोध के मुताबिक, जो लोग भलाई का पीछा करने के लिए प्रेरित होते हैं और अपने निजी दृष्टिकोण से परे जाते हैं, वे व्यक्तिगत समस्याओं को सुलझाने के लिए समझदारी वाले तर्क देते हैं।
कनाडा के ओंटारियो के वाटरलू विश्वविद्यालय के एलेक्स ह्यून्ह ने कहा, "हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि वह लोग जिनके पास सच्चे इरादे होते हैं, वे बुद्धिमानी से तर्क करने में सक्षम हो सकते हैं।"
पिछले शोध में आम तौर पर ध्यान केंद्रित किया गया था कि कैसे किसी व्यक्ति के समझदार तर्क के स्तर पर हालात का असर पड़ता है, लेकिन ये निष्कर्ष बताते हैं कि व्यक्तिगत प्रेरणा भी इसमें भूमिका निभा सकती है।
ह्यून्ह ने कहा, "हमारे ज्ञान के लिए यह पहला शोध है जो व्यावहारिक रूप से ज्ञान के साथ सद्गुण की अवधारणा को जोड़ता है।
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने विश्वविद्यालयों के 267 छात्रों की शामिल किया था।
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