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जानिए आखिर क्या है हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग, साथ ही जानें इसके नुकसान

पेरेंट्स हेलीकॉप्टर की तरह अपने बच्चों के इर्द-गिर्द घुमते रहते है। अपनों बच्चों को लेकर ओवर प्रोटेक्टिव होना हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग कहलाता है। जानें क्या है इसके नुसान।

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नई दिल्ली: 'हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग' एक ऐसा शब्द है जो कि हम अक्सर अपने स्कूल या कॉलेज वर्ग के छात्रों के पेरेंट्स के लिए इस्तेमाल होता है। यानि की पेरेंट्स हेलीकॉप्टर की तरह अपने बच्चों के इर्द-गिर्द घुमते रहते है। अपनों बच्चों को लेकर ओवर प्रोटेक्टिव होना हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग कहलाता है। यह इतना खतरनाक होता है जिसके कारण बच्चें कोई भी निर्णय लेने, अकेले जाने या फिर सही गलत के बारें में नहीं जान पाते है। क्योंकि पेरेंट्स उनकी जिंदगी के हर अहम फैसला की जिम्मेदारी खुद लेते है। हर एक चीज में पेरेट्स का हस्तक्षेप यानी कि किस कलर के कपड़े पहनने है या नहीं खाना है कैसे रहना है। यह सब पेरेंट्स डिसाइड करते है। जिसके कारण बच्चों पर इसका गलत प्रभाव पड़ता है।

जानें कितना सहीं हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग
जब पेरेंट्स कुछ नहीं सोचते है बस अपने बच्चों में हर समय क्या, क्यों या फिर कैसे वाले शब्द उठाने लगते है। तो ऐसे में बच्चों कई बार झूठ का सहारा ले लेते है। जबकि वह उल्टा पेरेंट्स को लगता है कि हम अपने बच्चें को सहीं दिशा में ले जा रहे है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं होता है। (सरसों के तेल शुद्द है कि नहीं, यूं करें सिर्फ 1 सेकंड में पहचान )

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जब बच्चा थोड़ा बड़ा और समझदार होता है। उसे हर चीजें समझ आनी लगती है। ऐसे में अगर पेरेट्स हर चीज में हस्तक्षेप करता है। तो वह खुद को कमजोर समझने लगता है। वह कुछ सोच समझ नहीं पाता है। वह अपने पेरेट्स में इतना ज्यादा निर्भर हो जाता है। कि बड़ा होने के बाद भी वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाता है। (#NotAshamed: साल 2014 में दीपिका पादुकोण हुईं थी डिप्रेशन की शिकार, अपनी आपबीती सुनाते हुए फैंस से की ये रिक्वेस्ट )

हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग के क्या है नुकसान?

  • हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग से सीधे बच्चों के व्यक्तित्व के विकास पर असर पड़ता है। क्योंकि उसका स्वभाव समय के साथ बदलता रहता है। पेरेंटिंग में अधिक केयर होती है। जिसके बिना वह खुद को कमजोर मानने लगता है।
  • हेलिकॉप्टर पेरेंट्स वह होते हैं जो हर समय बच्चे के साथ साथ जाते है। फिर चाहे वह स्कूल हो, ट्यूशन हो, दोस्तों के साथ हो या फिर कोई पर्सनल जगह हो। समय के साथ साथ बच्चे आपकी इस आदत के साथ असहज महसूस करने लगता है। जिसके चलते वह कभी झूठ बोलता है तो कभी धोखा देता है।

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  • इस तरह की पेरेंटिंग से बच्चों का आत्मबल गिरता है। वह किसी भी चीज का निर्णय नहीं कर पाता है। इतना ही नहीं पेरेंट्स उस पर इतना ज्यादा दवाब बना देते है कि वह किसी भी चीज पर खरा नहीं उतर पाता है।
  • अगर आपके बच्चों आपको हमेशा हर चीज पर टोकने से मना करते है। तो उन्हें छोड़ दें।
  • कहते है कि इंसान जब गलतियां करता है तो उससे सबक सिखता है। इसलिए उसे अपनी गलतियों का एहसास होने दें। जिससे प्रेरित होकर वह आगे कुछ अच्छा करेंगा।

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