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Hindi News लाइफस्टाइल रिश्ते छेड़खानी की शिकार हुई लड़कियों के कपड़े जमा करती है ये महिला, जानिए क्या है वजह

छेड़खानी की शिकार हुई लड़कियों के कपड़े जमा करती है ये महिला, जानिए क्या है वजह

इस तकलीफ को समझ कर बैंगलोर की जैस्मीन पथेजा(Jasmeen Patheja) ने लोगों को समझाने की कोशिश कर रही है कि इस क्राइम का लेना-देना पहनावे से नहीं है।

Jasmeen Patheja

ये है कहानी जैस्मीन की
सेक्सुअल और लिंग के अनुसार हिंसा के खिलाफ उनकी लड़ाई लगभग डेढ़ साल पहले शुरू हुई थी, जब वह उत्तरी कोलकाता (कलकत्ता) से कला का अध्ययन करने के लिए बेंगलुरु गई थी।

कोलकाता में छेड़खानी के मामले कम थे। लेकिन जब में बैंगलोर गई तो मेरी उम्र 23 साल थी। मेरे साथ कोई परिवार का सदस्य नहीं था जो कि मेरे सुरक्षा में साथ हो।

एक ऐसा समय था जब लड़के लड़कियों को सड़को में छेड़ देते थे और वह कुछ नहीं बोलती थी। इसकी के कारण इसको लेकर एक स्टैंड लेना जरुरी थी। इसीलिए इस चुप्पी को तोड़ने के लिए एक वार्तालाप करने की कोशिश की।

एक दिन एक रुम में मैने सभी फीमेल स्टूडेंट्स को पाया और कहा, "आइए शब्दों के साथ आओ, जो एक सार्वजनिक स्थान का आह्वान करते हैं।' तीन मिनट में, हमारे पास केवल नकारात्मक शब्दों का विशाल मन था।"  

इसका रिजल्ट आश्चर्य करने वाला था। पब्लिक में छेड़छाड़ सभी के साथ हुई थी। सभी ने अपने बारें में बाताया कि उन्हें कैसे कब क्या हुआ। किसी ने बताया कि रात होने के कारण, किसी ने बताया कपड़ो के कारण उनके साथ छेड़छाड़ हुई।

इसी कारण जैस्मीन ने साल 2003 में 'the Blank Noise collective' शुरु किया। जो कि अब भी लगातार चल रहा है और जिससे न जाने कितने लोग जुड़ रहे है। 

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