नई दिल्ली: वैज्ञानिकों का कहना है कि सीधे इनकार के बाद भी कुछ पुरुष महिलाओं की यौन रुचि को भ्रमवश अंतरंगता कायम करने की सहमति मान बैठते हैं। ऐसे में ही खासकर कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा यौन अपराध करने की संभावना पैदा होती है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि पुरुषों के हाथों महिलाओं के यौन उत्पीड़न को लेकर सामाजिक चिंता बढ रही है और रोजमर्रा की जिंदगी में यह नजर आता है। विशेषकर कॉलेज के विद्यार्थियों के बीच यौन हिंसा की घटनाएं किसी भी अन्य अपराध से अधिक होती हैं।
इस तरह की घटनाएं बढ़ने के बीच अमेरिका के बिंघमटन विश्वविद्यालय और रॉस विश्वविवद्यालय ने उन स्थितिजन्य एवं स्वभावगत कारकों की पहचान की जिनसे कॉलेज के विद्यार्थियों के यौन दुर्व्यवहार में उतरने की संभावना होती है। इसके तहत 145 विद्यार्थियों को काल्पनिक यौन परिदृश्यों से रुबरु कराया गया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि पुरुष यौन रुचि को भ्रमवश शारीरिक संबंध बनाने की सहमति मान बैठते हैं लेकिन सहमति की यह धारणा स्थिति के हिसाब से घटती-बढ़ती है तथा उसका व्यक्ति के व्यक्तिगत लक्ष्णों से कोई लेना-देना नहीं होता है।
बिंघमटन विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर रिचर्ड मैट्सन ने कहा, ‘‘हमने पाया कि जिस तरह महिलाओं ने अपनी यौन मंशा प्रकट की यानी कि इनकार बनाम गौण जवाब, उसका पुरुषों की धारणा पर बहुत बड़ा असर था। ’’
इस बात के भी सबूत मिले कि व्यक्ति अतीत के किसी यौन आचरण को उच्च स्तरीय अंतरंगता की भावी सहमति मान बैठता है जबकि कई मामलों में तो ऐसी स्थिति में महिलाएं उसे साफ तौर पर इनकार करती रहती हैं। बलात्कार के मामलों में एक मिथक यह है कि ‘जब महिला ना कहती है तो यह मान लिया जाता है कि उसका मतलब हां है। ’ जब महिलाओं की मंशा का गलत अर्थ निकाला जाता है तो मर्दानगी संबंधी मान्यता हावी हो जाती है।
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