शादीशुदा महिलाओं को होता है इन 10 का ग़म
हर रिश्ते के दो पहलू होते हैं, सुखद और दुखद और ये पहलू धूप छांव की तरह होते हैं जिसके साथ ज़िंदगी आगे बढ़ती रहती है। भारतीय समाज में रिश्तों को निभाने के मामले में
हर रिश्ते के दो पहलू होते हैं, सुखद और दुखद और ये पहलू धूप छांव की तरह होते हैं जिसके साथ ज़िंदगी आगे बढ़ती रहती है। भारतीय समाज में रिश्तों को निभाने के मामले में महिलाओं पर ज़्यादा दबाव रहता है। मां-बाप का घर छोड़कर पराये घर आई महिला के लिये ये काम आसान भी नहीं होता। अजनबी लोगों के बीच वो खुलकर अपनी बात न कह पाती है और न कर पाती है, नतीजतन कुंठा और घुटन में वह ग़मज़दा हो जाती है। इसका सबसे बड़ा कारण होता अपने पार्टनर से सही तरीके से तालमेल नहीं बैठा पाना। धीरे-धीरे छोटी-छोटी बातें तनाव का कारण भी बन जाती हैं। इसलिए इन बातों पर समय रहते ही ध्यान दे देना चाहिए ताकि बाद में पछतावा न हो।
1-अकेलापन दूर होना
शादी के बाद पिया धर आने के बाद भी काफी समय तक महिलायें अपने अतीत में जीती रहती हैं और इस तरह अकेलापन मेहसूस करने लगती हैं। कई बार तो सही मेल न होने पर भी महिला अकेलापन मेहसूस करती है। बहरहाल बेहतर तो यही होगा कि नये जीवन को जितना जल्दी समझ लिया उतना अच्छा है क्योंकि इससे आपको नये घर में ख़ुद को ढालने में मदद मिलेगी और घुलने मुलने की वजह से अकेलापन भी दूर होगा।
2- मोहब्बत के इज़हार से गुरेज़
रिश्तों में ताज़गी बनाये रखने के लिए समय-समय पर प्यार का इज़हार जरूरी होता है। लेकिन अक़्सर देखा गया है कि महिलायें प्यार का इज़हार करने के मामले में कंजूस होती हैं। यही वजह है कि पुरुष इस बात की शिकायत भी करते हैं। कई बार ये ख़ामोशी इतनी लंबी हो जाती है कि पुरुष को लगने लगता है कि शायद ुनकी पत्नी उन्हें प्यार ही नहीं करती और इस तरह रिश्ते धीरे-धीरे ठंडे पड़ने लगते हैं। जब तक महिलाओं को इस ग़लती का एहसास होता है बहुत देर हो चुकी होती है और वो सोचने लगती है कि काश उन तीन जादुई शब्दों को बोलने में कोताही न बरती होती।