द्वापर युग के महाभारत काल में महात्मा विदुर की नीतियां आज के समय में भी जरूरी मानी गई हैं। महात्मा विदुर जी तेज बुद्धि और दूरदर्शिता ने अपनी ने अपनी नीतियों को हर काल के लिए प्रासंगिक बना दिया है।
महाभारत युद्ध से पहले महात्मा विदुर और धृतराष्ट्र के बीच जो भी बातें हुई थीं उन्हें विदुर नीति के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि जो व्यक्ति महात्मा विदुर द्वारा सुझाई गई नीतियों का अनुसरण करता है, उसे जीवन में आसानी से सफलता प्राप्त हो जाती है। ऐसे ही विदुर जी ने उन 6 लोगों के बारे में बताया जो जीवन भर दुखी रहते हैं।
श्लोक
परं क्षिपति दोषेण वर्त्तमानः स्वयं तथा।
यश्च क्रुध्यत्यनीशानः स च मूढतमो नरः॥
इसके अर्थ में महात्मा विदुर नीति बताते हैं कि जो व्यक्ति अपनी गलती को दूसरे की गलती बताकर खुद को बुद्धिमान समझता है और इस गलती के लिए दूसरे को दोषी मानते हुए उस पर क्रोध करता है वह महामूर्ख होता है। हमारे आस पास इस तरह के कई लोग नजर आते हैं, जो अक्सर ऐसा करते हैं। इसके लिए महात्मा विदुर ने महा मूर्खों की संज्ञा दी है।
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महात्मा विदुर बताते हैं कि हमेशा दूसरों को ईर्ष्या और नफरत करने वाला व्यक्ति मूर्खों की श्रेणी में गिना जाता है। उसकी आदत होती है कि वह अपने जीवन में हमेशा असंतुष्ट, गुस्सा करने वाला, शंकालु बना रहेगा।
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