आज स्कन्द षष्ठी व्रत है। इसे गुहा षष्ठी भी कहते हैं। आज भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय जी की उपासना की जाती है। कार्तिकेय जी का एक नाम स्कंद भी है। इसलिए इसे स्कंद षष्ठी कहते हैं, साथ ही कार्तिकेय जी को चंपा का फूल पसंद होने के कारण इसे चंपा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।
कहते हैं आज कार्तिकेय जी ने तारकासुर का वध किया था | विशेष कार्य की सिद्धि के लिए आज भगवान कार्तिकेय की पूजा बड़ी ही फलदायी है । आपको बता दें कि मयूर पर आसीन देव सेनापति कुमार कार्तिकेय की आराधना सबसे ज्यादा दक्षिण भारत में होती है | आज चंपा के फूलों से भगवान की पूजा का विशेष विधान है । जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से शुभ मुहूर्त, पूजा विधि।
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भगवान कार्तिकेय को षष्ठी तिथि और मंगल ग्रह का स्वामी कहा गया है। अर्थात जिस किसी की जन्म कुंडली में मंगल अच्छी स्थिति में नहीं चल रहा हो या जिस राशि में मंगल नीच का हो, उन्हें आज स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की
पूजा और उनके निमित्त व्रत रखना चाहिए। दक्षिण दिशा में भगवान कार्तिकेय का निवास बताया गया है और इनका वाहन मोर है।
स्कंद षष्ठी शुभ मुहूर्त षष्ठी तिथि प्रारंभ- 8 दिसंबर रात 9 बजकर 26 मिनट से शुरू
षष्ठी्ठी तिथि समाप्त- आज शाम 7 बजकर 53 मिनट तक
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स्कंद षष्ठी पूजन विधि आज स्कंद षष्ठी के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनें और भगवान कार्तिकेय की मूर्ति बनाएं।
मूर्ति बनाने के लिये कहीं साफ स्थान से मिट्टी लाकर उसे छानकर, साफ करके किसी पात्र में रखकर पानी से सान लें। कुछ लोग मिट्टी सानते समय उसमें घी भी मिला लेते हैं। अब इस मिट्टी का पिंड बनाकर उसके ऊपर 16 बार 'बम्' शब्द का उच्चारण करें ।
शास्त्रों में 'बम्' को सुधाबीज, यानि अमृत बीज कहा जाता है । 'बम्' के उच्चारण से यह मिट्टी अमृतमय हो जाती है। अब उस मिट्टी से कुमार कार्तिकेय की मूर्ति बनानी चाहिए। मूर्ति बनाते समय मंत्र पढ़ना चाहिए-
'ऊँ ऐं हुं क्षुं क्लीं कुमाराय नमः'
इस प्रकार कुमार कार्तिकेय की मूर्ति बनाने के बाद भगवान का आह्वान करना चाहिए और कहना चाहिए- 'ऊँ नमः पिनाकिने इहागच्छ इहातिष्ठ'
फिर मन से भगवान का उपचार करते हुए उनके पैर आदि का पूजन करना चाहिए। इसके बाद भगवान को स्नान कराना चाहिए और स्नान कराते समय कहना चाहिए- 'ऊँ नमः पशुपतये'
स्नान के बाद 'ऊँ नमः शिवाय' मंत्र से गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य भगवान को अर्पित करें। इस तरह पूजा के बाद भगवान की मूर्ति को आदरपूर्वक जल में विसर्जित कर देना चाहिए।
इस तरह कुमार कार्तिकेय की पूजा करने और उनके निमित्त व्रत रखने से व्यक्ति राजा के समान सुख भोगता है और उसे नौकरी में उच्च पद की प्राप्ति होती है।
स्कंद षष्ठी के दिन कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए - आज के दिन तिल का सेवन नहीं करना चाहिए।
- अगर संभव हो तो आज रात के समय भूमि पर सोना चाहिए। आज भूमि पर शयन करने से स्वास्थ्य सबंधी परेशानियों को दूर करने में मदद मिलती है।
- इस दिन भगवान कार्तिकेय के मंदिरों के दर्शन करना अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है।
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