पौष कृष्ण पक्ष की उदया तिथि तृतीया और बुधवार का दिन है। तृतीया तिथि शाम 4 बजकर 52 तक रहेगी | उसके बाद चतुर्थी तिथि लग जाएगी | आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार आज उदया तिथि तृतीया है, जो शाम 4 बजकर 52 मिनट तक ही रहेगी उसके बाद चतुर्थी तिथि शुरू हो जायेगी और चतुर्थी तिथि कल शाम 6 बजकर 27 मिनट तक रहेगी एवं चतुर्थी तिथि की संध्या के समय भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने का विधान है और चतुर्थी तिथि की संध्या आज ही पड़ रही है | इसलिए आज ही संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत किया जायेगा।
भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है और आज का दिन तो और भी विशेष है, क्योंकि आज बुधवार के दिन संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी पड़ रही है | सप्ताह के सातों दिनों का संबंध किसी न किसी देवी-देवता से है और बुधवार का संबंध भगवान गणेश से है | इसलिए आज का दिन भगवान गणेश की उपासना के लिये बड़ा ही अच्छा है। आज पूरे दिन
उपवास रख शाम को चंद्रोदय के समय व्रत का पारण किया जाता है |
संकष्टी गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त पूजा मुहूर्त(अमृत काल) - आज रात 8 बजकर 15 मिनट से 09 बजकर 15 मिनट तक
चंद्रोदय का समय- शाम 7 बजकर 55 मिनट
संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद गणपति का ध्यान करते हुए एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और भगवान गणेश की मूर्ति रखें। अब गंगाजल छिड़कें और पूरे स्थान को पवित्र करें। इसके बाद गणपति को फूल की मदद से जल अर्पण करें। इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाएं। अब लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची चढ़ाएं। इसके बाद नारियल और भोग में मोदक अर्पित करें। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्ती से भगवान गणेश की आरती करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
शाम के समय चांद के निकलने से पहले गणपति की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें। पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें। रात को चांद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है।
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