आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि और गुरुवार का दिन है । त्रयोदशी तिथि आज रात 8 बजकर 26 मिनट तक रहेगी | उसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी। इसके साथ ही आज प्रदोष व्रत के साथ मासिक शिवरात्रि भी है।
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को व्रत कर प्रदोष काल यानि संध्या के समय में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है | आज गुरुवार है इसलिए यह गुरु प्रदोष होगा | गुरु प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को जीवन में वैभव की प्राप्ति होती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होने के साथ ही कर्ज और दरिद्रता से भी मुक्ति मिलती है। सुबह पूजा आदि के बाद संध्या में, यानि प्रदोष काल के समय भी पुनः इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
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चतुर्दशी तिथि की रात्रि में मास शिवरात्रि व्रत का पूजा किया जाता है और चतुर्दशी तिथि कल शाम 4 बजकर 55 मिनट तक ही रहेगी यानि चतुर्दशी तिथि में रात्रि आज ही पड़ रही है। इसलिए मास शिवरात्रि का व्रत आज ही किया जायेगा।
प्रदोष व्रत हो या फिर मास शिवरात्रि व्रत, दोनों का मकसद एक ही है- भगवान शिव की पूजा । इन दोनों में ही भगवान शिव की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है और उनके निमित्त व्रत किया जाता है | मास शिवरात्रि के दिन भी भगवान शंकर को बेलपत्र, पुष्प, धूप-दीप और भोग चढ़ाने के बाद शिव मंत्र का जप किया जाता है | कहते हैं ऐसा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है और जीवन में चल रही सभी समस्याओं का समाधान भी निकलता है | जो भक्त मास शिवरात्रि का व्रत करते हैं, भगवान शिव उनसे प्रसन्न होकर उनके सभी कार्यों को सफल बनाते हैं।
प्रदोष व्रत तिथि त्रयोदशी तिथि आरंभ -1 दिसंबर, बुधवार को रात 11 बजकर 35 मिनट से,
त्रयोदशी तिथि समाप्त - 2 दिसंबर, गुरुवार को रात 8 बजकर 26 मिनट तक
मासिक शिवरात्रि तिथि चतुर्दशी तिथि आरंभ- आज रात 8 बजकर 27 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 3 दिसबंर शाम 4 बजकर 55 मिनट तक
प्रदोष व्रत पूजा विधि इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद सूर्य भगवान को अर्ध्य दें और बाद में शिव जी की उपासना करनी चाहिए। आज के दिन भगवान शिव को बेल पत्र, पुष्प, धूप-दीप और भोग आदि चढ़ाने के बाद शिव मंत्र का जाप, शिव चालीसा करना चाहिए। ऐसा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति के साथ ही कर्ज की मुक्ति से जुड़े प्रयास सफल रहते हैं। सुबह पूजा आदि के बाद संध्या में, यानी प्रदोष काल के समय भी पुनः इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा संपन्न कर व्रत खोल पहले ब्राह्मणों और गरीबों को दान दें। इसके बाद भोजन करें। इस प्रकार जो व्यक्ति भगवान शिव की पूजा आदि करता है और प्रदोष का व्रत करता है, वह सभी पापकर्मों से मुक्त होकर पुण्य को प्राप्त करता है और उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।
महामृत्युंजय मंत्र ऊं हौं जूं सः ऊं भूर्भुवः स्वः ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात्
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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