इस बार महाशिवरात्रि 1 मार्च को मनाई जाती है। इस दिन अधिकतर लोग रुद्राक्ष धारण करते हैं। रुद्राक्ष का संबंध भगवान शिव से है और इसे बहुत ही चमत्कारी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष सकारात्मक ऊर्जा यानी पॉजिटिव एनर्जी का संचार करता है और सेहत को भी बेहतर बनाने में मदद करता है। इसके साथ ही संकट मिटते हैं और दुख एवं ग्रह दोष दूर होते हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर जानते हैं कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई-
दो शब्दों से मिलकर बना है शब्द-
दरअसल, रुद्राक्ष दो शब्दों से मिल कर बना है, जिसमें पहला शब्द रुद्र और दूसरा अक्ष। रुद्र का अर्थ होता है शिव और अक्ष का अर्थ होता है आंसू।
ऐसे हुई उत्पत्ति-
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव हजार वर्ष तक साधना में लीन थे। एक दिन अचानक जब उनकी आंखें खुलीं तो उससे आंसू की एक बूंद पृथ्वी पर गिर पड़ी। उससे ही रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई। शिव आज्ञा और मानव कल्याण के लिए रुद्राक्ष के पेड़ पूरी धरती पर फैल गए। रुद्राक्ष का भगवान शिव से यही संबंध है।
ऐसे करें असली रुद्राक्ष की पहचान-
-रुद्राक्ष की पहचान के लिए रुद्राक्ष को कुछ देर तक पानी में उबालें यदि रुद्राक्ष का रंग न निकले या उस पर किसी प्रकार का कोई असर न हो, तो वह असली होगा।
-तांबे का एक टुकड़ा नीचे रखकर उसके ऊपर रुद्राक्ष रखकर फिर दूसरा तांबे का टुकड़ा रुद्राक्ष के ऊपर रख दिया जाये और एक अंगुली से हल्के से दबाया जाये तो असली रुद्राक्ष नाचने लगता है। यह पहचान अभी तक प्रमाणिक है।
-शुद्ध सरसों के तेल में रुद्राक्ष को डालकर 10 मिनट तक गर्म किया जाये तो असली रुद्राक्ष होने पर वह अधिक चमकदार हो जायेगा और यदि नकली है तो वह धूमिल हो जायेगा।
-रुद्राक्ष की पहचान के लिए उसे सुई से कुरेदें। अगर रेशा निकले तो असली और न निकले तो नकली होगा।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले इससे संबंधित पंडित ज्योतिषी से संपर्क करें।
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