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Kedarnath Dham Opening Date 2022 : 6 मई से खुल रहे हैं बाबा केदारनाथ के कपाट, ऐसे पहुंचे यहां, 1000 किलो फूलों से सजाया गया मंदिर

केदारनाथ धाम के कपाट 6 मई 2022 से खुल रहे हैं। जानिए केदारनाथ धाम कैसे पहुंचे? साथ ही इस मंदिर की मान्यता, महत्व के बारे में भी जानिए।

Kedarnath Dham- India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM- @MINITIN28 Kedarnath Dham

Kedarnath Opening Date 2022: देश के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक केदारनाथ धाम के कपाट 6 मई 2022 से कुल रहे हैं। मंदाकिनी नदी के किनार बसे इस धाम में शिव जी का विशाल मंदिर है, जो पत्थरों के शिलाखंडों से जोड़कर बना है। ये ज्योर्तिलिंग बाकियों से अलग है क्योंकि ये त्रिकोण आकार में है। मान्यता है कि हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ने तपस्या की थी, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने ज्योतिर्लिंग के रूप में वहां सदा रहने का वरदान दिया था। 

केदारनाथ मंदिर का महत्व

इस मंदिर की बहुत अधिक मान्यता है, यहां जो भी जाता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ये मंदिर एक 6 फीट ऊंचे चबूतरे पर स्थापित है। मंदिर के मुख्य भाग में मंडप और गर्भगृह है, वहीं प्रांगण में नंदी बैल विराजमान हैं। ये मंदिर किसने बनवाया था इसका कहीं भी प्रमाणिक उल्लेख नहीं है, लेकिन कुछ लोगों का मत है कि इसकी स्थापना गुरु शंकराचार्य ने की थी। 

Image Source : instagram @minitin28केदारनाथ धाम

केदारनाथ मंदिर की कहानी, यहां पांडव हुए थे पापमुक्त

Image Source : instagram- @minitin28Kedarnath Dham

मान्यता है कि जब पांडवों ने महाभारत का युद्ध जीता था, तो उन्हें इस बात का बहुत दुख था कि उन्होंने युद्ध में अपने हाथों से अपने सगे-संबधियों का वध किया है, इस पाप से खुद को मुक्त करने के लिए पांडव भगवान शिव का दर्शन करने काशी पहुंचे थे। भोलेनाथ को जब इस बात का पता चला तो वो नाराज होकर केदारनाथ चले गए और पांडवों से बचने के लिए वो बैल का रूप धरकर बैल के झुंड में सम्मलित हो गए, उस वक्त भीम ने अपना विराट रूप लिया और सभी पशु भीम के पैरों के नीचे से निकलने लगे उस वक्त भगवान शिव अंतर्ध्यान होने ही वाले थे कि भीम ने भोलेनाथ को पकड़ लिया। पांडवों की लालसा को देखते हुए शिव जी प्रसन्न हुए और दर्शन देकर सभी पांडवों को पाप मुक्त किया। पांडवों ने केदारनाथ मंदिर का निर्माण कराया और आज भी यहां बैल के पीठ की आकृति-पिंड की पूजा होती है।

कैसे पहुंचे केदारनाथ?

केदारनाथ मंदिर पहुंचने के लिए गौरीकुंड से आपको 15 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। क्योंकि सिर्फ वहीं तक आप साधन से पहुंच सकते हैं। बाबा केदारनाथ का धाम कात्युहरी शैली में बना है, जिसमें भूरे और बड़े पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है और मंदिर की छत लकड़ी से निर्मित है वहीं इसके शिखर पर कलश सोने का लगा है। 5 मई की सुबह गौरीकुंड से भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली केदारनाथ धाम प्रस्थान कर चुकी है। 6 मई शुक्रवार सुबह 6 बजकर 25 मिनट पर केदारनाथ धाम के कपाट 6 महीने बाद श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएंगे।

Image Source : instagram @minitin28केदारनाथ धाम

तीन भागों में बंटा है केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ का ये मंदिर तीन भागों में बंटा है, पहला- गर्भगृह, दूसरा- दर्शन मंडप और तीसरा सभा मंडप। दर्शन मंडप में दर्शनार्थी पूजा करते हैं, और सभा मंडप में तीर्थ यात्रि एकत्र होते हैं। वहीं गर्भ गृह मंदिर का भीतरी भाग है।

Image Source : instagram- @minitin28केदारनाथ धाम

6 महीने खुलता है और 6 महीने बंद रहता है केदारनाथ धाम

भगवान केदारनाथ के दर्शन के लिए ये मंदिर साल में केवल 6 महीने के लिए खुलता है और बाकी के 6 महीने बंद रहता है, क्योंकि वहां बहुत बर्फबारी होती है और पूरा मंदिर बर्फ से ढक जाता है। ये मंदिर वैशाखी के बाद खुलता है और दीपावली के बाद पड़वा तिथि पर बंद हो जाता है। मान्यता है कि 6 महीने का समय पूरा होने पर मंदिर के पुजारी यहां दीपक जलाते हैं और 6 महीने बाद जब ये कपाट खुलता है तब ये दीपक जलता हुआ मिलता है।

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