ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब कुंडली में राहु और केतु के बीच में सही ग्रह आ जाए तो कालसर्प दोष लग जाता है। क्योंकि राहु को काल और केतु को सर्प माना जाता है। यह दोष अशुभ माना जाता है। माना जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष लग जाता है उसे किसी भी काम में जल्दी सफलता नहीं मिलती हैं। जीवन में सुख-दुख आता-जाता रहता है।
किन लोगों को लगता है कालसर्प दोष
मनुष्य को अपने पूर्व कर्मों के आधार पर भी कालसर्प दोष मिलता है। अगर आपने किसी सांप को मारा हो या फिर मरवाया हो, भ्रूण हत्या करना या करवाने वाले को, अकाल मृत्यु या फिर उसके पूर्व जन्म में किए गए पापों के कारण भी इस दोष के भागी होना पड़ता है।
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कालसर्प दोष के लक्षण - पढ़ाई करने में रुकावटे आना। एग्जाम की पूरी तैयारी करने के बावजूद भी असफल रहना, सबकुछ याद होने के बाद भी एग्जाम के समय सबकुछ भूल जाना, दिमाग शून्यवत हो जाना, शिक्षा पूर्ण न कर पाना।
- विवाह में बार-बार अड़चने आना भी कालसर्प दोष के कारण होता है।
- संतान प्राप्ति में समस्या होना
- संतान की उन्नति में बाधा आना
- किसी तरह की दुर्घटना, चोट लगना या फिर बीमारी होना।
- नौकरी में समस्याएं या आना।
- किसी करीबी से धोखा खाना
- मांगलिक कार्यों के दौरान कोई बाधा आना
- घर पर बिना किसी वजह से कलह होना
- घर में किसी की अकाल मृत्यु हो जाना
कितने वर्ष तक रहता है कालसर्प दोष कालसर्प दोष में राहु की महादशा 18 वर्ष और केतु की दशा 7 वर्ष की होती है। इस बीत जातकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कालसर्प के प्रकार ज्योतिषों के अनुसार कालसर्प दोष 12 तरह के होते हैं।
- अनंत कालसर्प योग
- कुलिक कालसर्प योग
- वासुकी कालसर्प योग
- शंखपाल कालसर्प योग
- पदम् कालसर्प योग
- महापद्म कालसर्प योग
- तक्षक कालसर्प योग
- कर्कोटक कालसर्प योग
- शंख्चूर्ण कालसर्प योग
- पातक कालसर्प योग
- विषाक्त कालसर्प योग
- शेषनाग कालसर्प योग
डिस्क्लेमर- ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।
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