देश भर में 17 मार्च को होलिका दहन और 18 मार्च को रंगभरी होली खेली जाएगी। उससे पहले आठ दिन के होलाष्टक भी लग चुके हैं और इस दौरान शुभ और मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है।
दरअसल होलाष्टक में शुभ और मांगलिक काम इसलिए नहीं किए जाते क्योंकि इन आठ दिनों में नव ग्रह उग्र हो जाते हैं और विपरीत फल देने लगते हैं। ऐसे में ग्रहों के अशुभ फल शुभ काम को पूरा नहीं होने देते और इसी कारण इन आठ दिनों में शुभ काम करने की मनाही होती है।
लेकिन होलाष्टक नवग्रह शांति के लिए सबसे अच्छे दिन माने जाते हैं। होलाष्टक के दौरान चंद्रमा, सूर्य, बुध, मंगल, गुरु, शुक्र, शनि और राहु 8 ग्रह उग्र अवस्था में आते हैं और जातको को विपरीत परिणाम देते हैं लेकिन ब्रह्माण्ड पुराण में इस बात की जानकारी दी गई है कि कुछ खास उपाय करके जातक नवग्रह पीड़ा को कम कर सकते हैं।
चलिए जानते हैं वो उपाय और मंत्र-स्त्रोत जिन्हें करने से होलाष्टक में नवग्रह शांति की जा सकती है।
- 1. नियमित तौर पर सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
- 2. नवग्रह पीड़ाहर स्त्रोत और आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें ।
- 3. सोने और तांबे का दान करें।
- 4. सूर्य ग्रह को शांत करने के लिए माता पिता को उपहार दें।
- 5. किसी गरीब को गुड़ का दान करें।
- 6. चंद्रमा की शांति के लिए दूध चावल और चांदी से बनी वस्तु का दान करें।
- 7. शुक्र की शांति के लिए दही घी और कपूर का दान करें।
- 8. मंगल की शांति के लिए घर की पूर्व दिशा में लाल झंडा लगाएं।
- 9. गुरु की शांति के लिए बहते पानी में नारियल प्रवाहित करें।
- 10 शनि की शांति के लिए शनि मंदिर में तेल अर्पित करें और नेत्रहीन को भोजन कराएं।
होलाष्टक के पूरे आठ दिनों में सात्विक विचार और व्यवहार बनाएं रखें। जरूरतमंदों की सेवा करें और किसी का बुरा नहीं करें। इससे भी ग्रह शांति मिलती है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले इससे संबंधित पंडित ज्योतिषी से संपर्क करें।
Latest Lifestyle News