सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर सिंह जी का 400वां प्रकाश पर्व उनके जन्म को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। 18 अप्रैल 1621 में जन्मे गुरु तेग बहादुर सिंह जी गुरु हरगोबिंद साहिब के सबसे छोटे पुत्र थे। ऐसा कहा जाता है कि उनके बचपन का नाम त्यागमल था। गुरु तेग बहादुर को योद्धा गुरु के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अथक संघर्ष किया। वह मानवता, बहादुरी, मृत्यु, गरिमा और बहुत कुछ के बारे में अपने विचारों और शिक्षाओं के लिए जाने जाते हैं जिन्हें गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल किया गया है।
सिखों के आठवें गुरु श्री हरिकृष्ण जी की अकाल मृत्यु के बाद श्री तेग बहादुर जी को गुरु बनाया गया। श्री बहादुर सिंह ने सांस्कृतिक विरासत और धर्म की रक्षा के खातिर अपना जीवन बलिदान कर दिया। उन्होंने कई ऐसे विचार प्रकट किए जिन्हें अपनाकर आप सही रास्ते में चलकर एक सफल इंसान बन सकते हैं। तो आइए जानते हैं गुरु तेग बहादुर के कुछ अनमोल विचार।
- हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो, घृणा से विनाश होता है।
- हार और जीत यह आपके सोच पर निर्भर है, मान लो तो हार है और ठान लो तो जीत है।
- गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती है, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने की साहस हो।
- डर कहीं और नहीं, बस आपके दिमाग में होता है।
- एक सज्जन व्यक्ति वह है जो अनजाने में किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचाए।
- दिलेरी डर की गैरमौजूदगी नहीं, बल्कि यह फैसला है कि डर से भी जरूरी कुछ है।
- सफलता कभी अंतिम नहीं होती, विफलता कभी घातक नहीं होती, इनमें जो मायने रखता है वो है साहस।
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