मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी के साथ फरवरी माह की शुरुआत, जानिए इस माह पड़ने वाले हर व्रत-त्योहार के बारे में
आइए जानते हैं हिंदू पंचांग के अनुसार फरवरी माह में पड़ने वाले हर एक व्रत-त्योहार के बारे में पूर्ण जानकारी।
Highlights
- फरवरी माह की शुरुआत मौनी अमावस्या के साथ हो रही है
- जानिए फरवरी माह में पड़ने वाले व्रत-त्योहारों के बारे में
हिंदू पंचांग के अनुसार फरवरी 2022 की शुरूआत माघ कृष्ण पक्ष की उदया तिथि की अमावास्या के साथ हो रही हैं। माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस माह अमावस्या के साथ-साथ कई बड़े व्रत-त्योहार पड़ रहे हैं। जहां फरवरी माह के पहले सप्ताह में ही गुप्त नवरात्रि, वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी और बसंत पंचमी पड़ रही है। वहीं फरवरी माह का अंत एकादशी और प्रदोष व्रत के साथ हो रहा हैं। आइए जानते हैं हिंदू पंचांग के अनुसार फरवरी माह में पड़ने वाले हर एक व्रत-त्योहार के बारे में पूर्ण जानकारी।
फरवरी 2022 व्रत और त्योहार1 फरवरी, मंगलवार- मौनी अमावस्या
माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है, साथ ही मंगलवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को भौमवती अमास्या के नाम से जाना जाता है। इसलिए इस अमावस्या को मौनी भौमवती अमावस्या कहा जाएगा। कहते हैं इसी दिन ऋषि मनु का जन्म हुआ था। इस दिन मौन व्रत रखने की भी परंपरा है। साथ ही माघ मास की अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान का बहुत महत्व है।
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2 फरवरी, बुधवार- गुप्त नवरात्रि
इस दिन से माघ महीने की गुप्त नवरात्रि शुरू हो गयी है और 10 फरवरी को समाप्त हो जाएगी। नवरात्रों का यह त्योहार हमारे भारतवर्ष में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसका जिक्र पुराणों में भी अच्छे से मिलता है।
4 फरवरी, शुक्रवार- वैनायकी गणेश चतुर्थी
माघ माह के कृष्ण और शुक्ल, दोनों पक्षों की चतुर्थी बड़ी ही महत्वपूर्ण है। माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को तिल चतुर्थी, कुन्द चतुर्थी अथवा तिलकुन्द चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा में तिल और कुन्द के फूलों का बड़ा ही महत्व है।
5 फरवरी, शनिवार- बसंत पंचमी
प्रत्येक वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है लिहाज़ा इस दिन बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। है। इस दिन विद्या और कला की देवी सरस्वती जी की पूजा का विधान है।
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6 फरवरी, रविवार- शीतला षष्ठी का व्रत
प्रत्येक वर्ष की माघ शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को शीतला षष्ठी के रूप में मनाया जाता है। हालांकि, यह पूजा इस दिन केवल बंगाल में ही होती है | लेकिन आप कहीं भी हो इस दिन शीतला माता की पूजा और व्रत आदि करके लाभ उठा सकते है। इस व्रत को रखने से संतान की खुशहाली और अनंत सौभाग्य की प्राप्ति होती है, साथ ही मन शीतल होता है।
7 फरवरी, सोमवार- रथ सप्तमी
माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि उनमें से एक है। ये तिथि सूर्यदेव से संबंध रखती है। कहते हैं इस दिन सूर्यदेव ने अपने प्रकाश से पूरे जगत को प्रकाशित किया था। इसी दिन सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे। इसीलिए माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रथ सप्तमी के नाम से जाना जाता है। रथ सप्तमी के अलावा इसे अचला सप्तमी, विधान सप्तमी और आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।
8 फरवरी, मंगलवार- भीष्म सप्तमी, दुर्गाष्टमी
प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी का व्रत करने का विधान है। इस दिन मां दुर्गा की उपासना की जाती है। आज देवी दुर्गा की उपासना करने से आपकी सभी मनोकामना पूरी होंगी, साथ ही आपकी हर समस्या का हल निकलेगा। इसके आलावा भीष्माष्टमी का व्रत भी किया जायेगा | महाभारत में वर्णन मिलता है कि माघ महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ही सूर्य के उत्तरायण होने पर पितामह भीष्म ने अपने प्राण त्यागे थे। इस दिन पितामह भीष्म के निमित्त कुश, तिल, जल लेकर तर्पण करना चाहिए।
10 फरवरी, गुरुवार- महानन्दा नवमी
गुरुवार को श्री महानन्दा नवमी है। नन्दा, देवी दुर्गा का ही एक रूप हैं। मां नन्दा की विशेष रूप से उपासना की जाती है। इनकी उपासना से व्यक्ति को अप्रतिम शक्तियां मिलती हैं, जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है, साथ ही दुश्मन से जीतने में मदद हासिल होती है।
12 फरवरी, शनिवार- जया एकादशी
माघ शुक्ल पक्ष की यह एकादशी बड़ी ही फलदायी बतायी गई है। एकादशी के दिन व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है, साथ ही इस दिन श्री लक्ष्मी की पूजा करने से घर की धन-सम्पदा में वृद्धि होती है।
13 फरवरी, रविवार: कुंभ संक्रांति, प्रदोष व्रत
इस दिन तड़के 3 बजकर 28 मिनट पर सूर्यदेव मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे और अगले महीने यानि 14 मार्च की रात 12 बजकर 16 मिनट तक यहीं पर रहेंगे। सूर्य के इस परिवर्तन को कंभ संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इस दिन प्रदोष व्रत भी रखा जाएगा।
16 फरवरी, बुधवार: माघ पूर्णिमा, संत रविदास जयंती
माघ मास में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघ पू्र्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन स्नान-दान का बहुत अधिक महत्व है। इसके अलावा इस दिन रविदास जयंती भी होगी।
17 फरवरी, गुरुवार: फाल्गुन माह प्रारंभ
माघ माह समाप्त होने के साथ इस दिन से फाल्गुन माह की शुरुआत हो जाएगी। यह माह भी व्रत-त्योहार के मामलों में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
19 फरवरी, शनिवार: छत्रपति शिवाजी जयंती
देश के वीर सपूतों में से एक छत्रपति शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को मराठा परिवार में हुआ था। इसी कारण उनके जन्मदिवस के मौके पर इस दिन को जयंती के रूप में मनाया जाता है।
27 फरवरी, रविवार: विजया एकादशी
फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी का व्रत करने का विधान है। विजया एकादशी के दिन व्रत करने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में विजय मिलती है, लिहाजा उसे कभी भी हार का सामना नहीं करना पड़ता है। प्रत्येक एकादशी की तरह इस दिन भी भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करके आप जीवन के हर क्षेत्र में विजय पा सकते हैं, अपने शत्रुओं को परास्त कर सकते हैं और अपने आने वाले जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।
28 फरवरी, सोमवार: प्रदोष व्रत
माह के अंत में प्रदोष व्रत का व्रत रखा जाएगा। फाल्गुन माह के इस प्रदोष व्रत का भी काफी अधिक महत्व है।