कूटनीति और सामान्य व्यवहार के बारे में कई छोटी-छोटी सीख देने वाले कौटिल्य यानी आचार्य चाणक्य ने कुछ ऐसी नीतियां भी दुनिया के सामने रखी हैं जिन्हें आज के दौर में भी सच के करीब माना जा सकता है।
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में बताया कि कैसे लोगों का साथ नहीं रखना चाहिए या फिर किन लोगों का भला नहीं करना चाहिए। इससे आपको शुभ फल नहीं बल्कि सिर्फ कष्ट ही मिलेगा।
Chanakya Niti: यह एक चीज हमेशा चलती है मनुष्य के पीछे, चाहकर भी नहीं कर सकते अलग
श्लोक
मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टस्त्रीभरणेन च ।
दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति ॥
अर्थ
एक पंडित भी घोर कष्ट में आ जाता है अगर वह किसी मुर्ख को उपदेश देता है, अगर वह एक दुष्ट पत्नी का पालन-पोषण करता है या किसी दुखी व्यक्ति के साथ अत्यंत घनिष्ठ सम्बन्ध बना लेता है।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में कहा कि हर व्यक्ति चाहता है कि उसका जीवन सरलता से बीत जाए और किसी भी प्रकार के कष्ट का सामना न करना पड़े। लेकिन अगर आप कुछ ऐसे काम करते हैं तो उसका असर आपके जीवन पर बुरा ही पड़ता है।
आचार्य चाणक्य ने कहा कि कभी भी मूर्ख व्यक्ति को ज्ञान नहीं देना चाहिए। क्योंकि वो कुतर्क हो होता है। मुर्ख व्यक्ति कभी भी आपकी बात को नहीं समझ सकता है। इसी प्रकार दुष्ट महिला को पालन-पोषण नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे आपका घर धन-धान्य से नहीं भरता है अपितु हर चीज का नाश हो जाता है।
अगर कोई व्यक्ति हरदम दुखी रहता है और हमेशा ही ईश्वर एवं अन्य लोगों को कोसता रहता है तो ऐसे लोगों को कभी भी संतुष्टि नहीं मिलती है। चाणक्य का कहना है कि हमें ऐसे व्यक्ति की मदद भी नहीं करनी चाहिए और न ही मित्रता रखनी चाहिए। क्योंकि इनकी संगत से आप भी दुखी रहेंगे और आपके अंदर भी दीन-हीन की भावना उत्पन्न हो सकती हैं।
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