आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में जीवन जीने के कई तरीके बताए हैं। उनके कुछ वचन काफी कठोर होते है। लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। इसी तरह आचार्य चाणक्य ने अच्छे गुणों से भरपूर व्यक्ति की व्याख्या की हैं। उन्होंने बताया कि गुणों से ही मनुष्य अच्छा और बुरा बनता है।
श्लोक
गुणैरुत्तमतां यान्ति नोच्चैरासनसंस्थितैः ।
प्रसादशिखरस्थोऽपि किं काको गरुडायते॥
अर्थ
गुणों से ही मनुष्य बड़ा बनता है, न कि किसी ऊंचे स्थान पर बैठ जाने से । राजमहल के शिखर पर बैठ जाने पर भी कौआ गरुड़ नहीं बनता है।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में व्यक्ति के गुणों को महान बताया है। उन्होंने कहा कि अगर किसी व्यक्ति के पास अपार गुण होगे तो वह इंसान भी उसके आगे छोटा लगेगा जो ऊंचे स्थान पर बैठा हुआ है। जिस तरह व्यक्ति का विनम्र स्वभाव उसे महान बनाता है। वह व्यक्ति हर किसी की नजरों में श्रेष्ठ होता है। वहीं दूसरी ओर एक विनम्र स्वभाव, दानी आदि गुणों से भरपूर नहीं होता हैं तो वह चाहे जिस स्थान में बैठा हो लेकिन वह लोगों की नजरों में बेकार इंसान ही होता है। जैसे राजमहल के शिखर पर बैठ जाने पर भी कौआ गरुड़ नहीं बनता है। उसी तरह बेईमान, पापी, चोर पुरुष चाहे जिस स्थान पर पहुंच जाए लेकिन वह एक अच्छे पुरुष की जगह कभी नहीं ले सकता है। इसलिए हमेशा व्यक्ति को अपने गुणों पर ध्यान देना चाहिए।
Latest Lifestyle News