आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार उन लोगों पर आधारित है जो ज्ञानी ना होते हुए भी ज्ञान का दिखावा करते हैं।
'असली ज्ञान वही है जो हर प्रकार के अंधकार को दूर करने में सक्षम हो': आचार्य चाणक्य
चाणक्य कहते हैं कि किसी भी चीज के बारे में अधूरा ज्ञान होना अच्छा नहीं होता है। ज्ञान को प्राप्त करने के लिए साधना, तपस्या, समर्पण और कठोर अनुशासन की जरूरत होती है। असली ज्ञान वही है जो हर प्रकार के अंधकार को दूर करने में सक्षम हो। कभी भी ज्ञान का प्रयोग किसी को नीचा या छोटा दिखाने के लिए नहीं करना चाहिए, क्योंकि संपूर्ण धरती पर कोई भी पूर्ण ज्ञानी नहीं है। हर कोई किसी न किसी रूप में उम्र भर कुछ न कुछ सीखता और समझता रहता है। ज्ञान से अभिमान को दूर रखने में ही भलाई है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार ऐसे लोगों से हमेशा दूर रहना चाहिए जो ज्ञानी न होकर भी ज्ञानी बनने का ढोंग करते हैं। ऐसे व्यक्ति का मकसद सिर्फ स्वार्थ सिद्ध करना होता है। क्योंकि जो व्यक्ति विद्वान है, ज्ञान उसके चरित्र, वाणी और हावभाव में भी दिखाई देता है। ज्ञानी व्यक्ति कभी दूसरों के प्रति अपने ज्ञान का अनुचित प्रदर्शन नहीं करता बल्कि शांति से मानव कल्याण की सेवा में तत्पर रहता है।
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