Chanakya Niti: आचार्य विष्णुगुप्त जिन्हें दुनिया आचार्य चाणक्य के नाम से भी जानती है। उन्होंने अपनी शिक्षा में समाज को ऐसी नीतियां दी हैं जिन्हें पालन मात्र करने से इंसान एक बेहतर जीवन जी सकता है। आचार्य चाणक्य की बातें भले ही कठिन लगती हैं, लेकिन ने बातें आज के वक्त भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उनकी अपने दौर में थी। आज की चाणक्य नीति में हम आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों का विश्लेषण करेंगे और आज जानेंगे कि आचार्य चाणक्य ने चतुर लोगों के बारे में क्या बताया है?
'जितने तुम चतुर होते जाते हो उतना ही तुम्हारा दिल मरता जाता है।' आचार्य चाणक्य
अपनी शिक्षाओं के जरिए आचार्य चाणक्य के इस कथन पर जोर दिया है कि चतुर लोगों की मनोदशा कैसी होती है। आचार्य चाणक्य ने अपने कथनों द्वाया यह बताने की कोशिश की है कि जो लोग चतुर होते हैं उनके दिल की भावनाएं एक ना एक दिन खत्म हो जाती है। ये भावनाएं हैं किसी के लिए अच्छा सोचना, किसी से प्यार करना, किसी का भला करना।
आचार्य चाणक्य ने अपनी बातों के जरिए बताने की कोशिश की है कि जब किसी इंसान के अंदर चालाकी जरूरत से ज्यादा आ जाती है तो वो हर चीज में फायदा और नुकसान देखता है। उसे उन्य किसी चीज से मतलब नहीं होता। वह अपने फायदे के अलावा कुछ भी नहीं सोचता। अपने फायदे के सामने ऐसे लोग भूल जाते हैं कि जिसके बारे में वह बुरा सोच रहा है वो अपना है या फिर पराया।
ऐसे लोग हर किसी को एक ही तरह से ट्रीट करते हैं। ऐसे लोगों में ये भावना दिन पर दिन बढ़ती जाती है। इसके साथ ही पैसों के प्रति लालच भी बढ़ता जाता है। इनके लिए रिश्ते सिर्फ गिनती के होते हैं। जब इन्हें इन रिश्तों की जरूरत पड़ती है तो उनसे ये बात करते हैं वरना उनसे बात करना भी पसंद नहीं करते।
धीरे-धीरे इस स्वभाव वाले व्यक्ति से लोग दूर रहना ही पसंद करते हैं। अगर आप ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हैं तो दूर रहने में ही आपकी भलाई है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जितने तुम चतुर होते जाते हो उतना ही तुम्हारा दिल मरता जाता है।
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