आचार्य चाणक्य की कई शिक्षाएं और नीतियां आज के वक्त भी प्रासंगिक हैं। उनके शब्द कठोर होते हैं लेकिन उनके उपदेशों ने हमेशा जीवन में सबसे कठिन लड़ाई जीतने में मदद की है। उनकी शिक्षाएं सफलता पाने और एक बेहतर इंसान बनने में मदद करती हैं। आचार्य चाणक्य ने अपने शिष्यों को सबसे महत्वपूर्ण सलाह बोलने की शक्ति के बारे में दी है। उन्होंने बताया है कि अपने जीवन में कभी भी इन दो लोगों के साथ अपशब्द प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे केवल शाप मिलता है। ये दो लोग माता और पिता हैं।
'अपनी जुबान की ताकत कभी भी अपने माता पिता पर मत आजमाओ, जिन्होंने तुम्हें बोलना सिखाया है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि बोलते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप किसके सामने और क्या बोल रहे हैं। जुबान बहुत शक्तिशाली होती है और लोग अक्सर इसका इस्तेमाल बिना सोचे-समझे करते हैं, जिससे उन्हें बाद में पछताना पड़ता है। जिस प्रकार धनुष से निकलने वाले बाण को वापस नहीं लिया जा सकता, उसी प्रकार जुबान से निकलने वाले शब्द को वापस नहीं लिया जा सकता। इसलिए बोलने से पहले हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आपके सामने कौन है।
आचार्य चाणक्य का उपदेश है कि मनुष्य को अपने माता-पिता पर गलत शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि उन्होंने ही उन्हें बोलना सिखाया है। क्रोध में अंधा होना ही दुर्भाग्य लाता है। एक बार जब गुस्सा शांत हो जाता है, तो केवल पछताना ही आता है। ऐसा भी कहा जाता है कि ऐसा व्यक्ति पाप का शिकार हो जाते हैं। इसी कारण आचार्य चाणक्य ने कहा है कि कभी भी अपनी जुबान का बल अपने माता-पिता पर न आजमाएं, जिन्होंने आपको बोलना सिखाया है।
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