आचार्य विष्णुगुप्त यानी आचार्य चाणक्य अपनी नीतियों के कारण देश-दुनिया में प्रसिद्ध हैं। उनकी बातें आज के वक्त भी उतनी ही प्रासंगिक लगती हैं, जितनी उनके अपने वक्त में थी। उनकी हर एक नीति इंसान को सफलता प्राप्त करने के साथ सही रास्ते में चलने के लिए प्रेरित करती हैं। ऐसे ही आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में बताया कि किन चार लोगों से कभी विवाद नहीं करना चाहिए।
श्लोक
मतिमत्सु मूर्ख मित्र गुरुवल्लभेषु विवादो न कर्तव्य:।
अपनी नीतियो में इस श्लोक में आचार्य चाणक्य बताते हैं कि कभी मूर्ख, गुरु और प्रियजन और मित्रों से विवाद नहीं करना चाहिए।
प्रियजन
किसी भी व्यक्ति को जीवन जीने के लिए किसी खास लोगों की आवश्यकता होती हैं। यदि हम अपने प्रियजनों और शुभचिंतकों से दूर रहें तो हमारे जीवन में उमंग और उल्लास की कमी हो जाती है। ऐसे में अपने प्रियजनों और चाहने वालों से कभी विवाद नहीं करना चाहिए।
मूर्ख व्यक्ति
आचार्य चाणक्य बताते हैं कि जब किसी बुद्धिमान व्यक्ति को मूर्ख व्यक्ती से वाद विवाद नहीं करना चाहिए। क्योंकि मूर्ख व्यक्ति अपनी बात को मनवाने के लिए हमेशा अपनी बातों को आगे रखता है और किसी की भी बात को मानने से इनकार कर देता है। आचार्य चाणक्य बताते है कि ऐसे लोगों से विवाद करना मूर्खता होती है।
मित्र
प्रिय जनों की भांति मित्र भी आपके जीवन में सार्थकता का प्रवाह करते हैं। मित्र आपके सुख-दुख के साथी होते हैं। आप उनसे वो सारी बातें बता सकते हैं जिन्हें आप किसी अपने घरवालों से नहीं बता पाते। आचार्य चाणक्य के मुताबिक, मित्रों से कभी विवाद नहीं करना चाहिए।
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गुरु
जीवन में गुरु हमेशा सही मार्गदर्शन करते हैं। गुरु अज्ञान के अंधकार से ज्ञान की तरफ ले जाते हैं। ऐसे में गुरु से भी कभी विवाद नहीं करना चाहिए।
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