आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे।
आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज हम भरोसेमंद लोगों को परखने के तीरके पर बात करेंगे।
यथा चतुर्भि: कनकं परीक्ष्यते निघर्षणं छेदनतापताडनै:।
तथा चतुर्भि: पुरुषं परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।।
चाणक्य ने इस श्लोक के माध्यम से समझाया है कि सोने की गुणवत्ता जांचने के लिए उसे रगड़ा जाता है, आग में तपाया जाता है, पीटकर देखा जाता है या फिर काटकर भी शुद्धा की चांद की जाती है। इन सभी तरीकों से ये आसानी से पता लग जाता है कि सोना असली है या नकली? इसी तरह से अगर किसी व्यक्ति पर भरोसा करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो कभी पछतावा करने की जरूरत नहीं होगी।
अगर कोई व्यक्ति दूसरों के दुखों को दूर करने के लिए स्वयं के सुखों का त्याग करता है तो वो निश्चित ही भरोसे लायक है। ऐसे लोगों पर जरूर भरोसा करना चाहिए। इसके अलावा जो व्यक्ति सबके बारे में अच्छी सोच रखता है वो कभी किसी को धोखा नहीं दे सकता है।
गलत काम करके या गलत तरीके से धन कमाने वाले व्यक्ति पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसे लोग खुद के स्वार्थ के लिए किसी को भी धोखा दे सकते हैं।
पढ़ें अन्य संबंधित खबरें-
Latest Lifestyle News