अर्थशास्त्र के ज्ञाता होने के कारण आचार्य चाणक्य को कौटिल्य भी कहा जाता है। नीतिशास्त्र में आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के जीवन के पहलुओं को गहराई से समझा है। यही कारण है कि चाणक्य की नीतियां आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी कई नीतियों में गुणी पुत्रों के बारे में विस्तार से बनाया है। जानिए किस तरह के लोग पूरे कुल का नाम रोशन करते हैं।
श्लोक
एकोऽपि गुणवान् पुत्रो निर्गुणैश्च शतैर्वरः।
एकश्चन्द्रस्तमो हन्ति न च ताराः सहस्रशः॥
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भावार्थ :
जिस प्रकार एक चांद ही रात्रि के अंधकार को दूर करता है, असंख्य तारे मिलकर भी रात्रि के गहन अंधकार को दूर नहीं कर सकते, उसी प्रकार एक गुणी पुत्र ही अपने कुल का नाम रोशन करता है, उसे ऊंचा उठता है । सैकड़ों निकम्मे पुत्र मिलकर भी कुल की प्रतिष्ठा को ऊंचा नहीं उठा सकते।
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आचार्य चाणक्य मे अपने इस श्लोक में बताने की कोशिश की है कि किस तरह से एक पुत्र अपने परिवार के साथ-साथ पूरे कुल का नाम रोशन कर सकता है। वहीं वो चाहे तो आपके पूरे कुल का नाम बदनाम कर सकता है। आचार्य चाणक्य ने गुणी पुत्र की तुलना चंद्रमा से की है। उनके अनुसार जिस तरह से रात के समय एक चांद पूरे विश्व को अंधकार से छुटकारा दिला देता है उसी तरह एक गुणी पुत्र अपने अच्छे चरित्र, ज्ञान से पूरे नाम का रोशन कर देता है। वहीं दूसरी तरफ जिस तरह असंख्य तारे आसमान में होते हुए भी अपनी रोशनी से अंधकार नहीं हटा पाते हैं। उसी तरह अगर किसी परिवार में सैकड़ों पुत्र हो लेकिन वह निकम्मे हो तो वह पूरे कुल का नाम बदनाम कर देते हैं। उन्हें कोई भी सम्मान की नजरों से नहीं देखता है।
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