अर्थशास्त्र के ज्ञाता होने के कारण आचार्य चाणक्य को कौटिल्य भी कहा जाता है। नीतिशास्त्र में आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के जीवन के पहलुओं को गहराई से समझाहै। यही कारण है कि चाणक्य की नीतियां आज के समय में भी प्रासंगिक हैं।
आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताया है जिनको ध्यान में रखकर आप विपरीत परिस्थितियों को भी आसानी से पार कर लेते हैं। ऐसे ही आचार्य चाणक्य ने ऐसे व्यक्ति के बारे में बताया है, जिनका साफ कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
Chanakya Niti: सांप से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं ऐसे लोग, दूरी बनाना ही बेहतर
श्लोक
प्रलये भिन्नमर्यादा भवन्ति किल सागर:।
सागरा भेदमिच्छन्ति प्रलय शपि न साधव:।
आचार्य चाणक्य इस श्लोक में कहते हैं कि जब प्रलय का समय आता है तो समुद्र भी अपनी मर्यादा छोड़कर किनारों को तोड़ देता है। लेकिन वहीं दूसरी ओर सज्जन व्यक्ति प्रलय की तरह भयंकर आपत्ति आने पर भी अपनी मर्यादाओं को नहीं लंघता है। वहीं कभी भी धैर्य नहीं खोता है और गंभीरता के साथ काम करता है। मुश्किल घड़ी में ऐसे व्यक्ति संयम रखने में सफल होते हैं और कामयाबी को हासिल करते हैं।
आचार्य चाणक्य ने बताया कि व्यक्ति को हमेशा संयम, धैर्य के साथ काम करना चाहिए। वहीं आज के समय की बात करें तो इन दोनों ही शब्दों का अर्थ खत्म हो चुका है। आज का व्यक्ति सफलता के बीच में आईं मुश्किलों को लांघने से पहले ही बीच में दम तोड़ देता है या फिर व्य़क्ति के अंदर सब्र, धैर्य करने की इतनी ताकत नहीं होती हैं, जिसके कारण वह सफलता पाने के लिए हर मर्यादा को भी लांघ जाता है। इसलिए आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में कहा है कि अगर कोई व्यक्ति आपके आसपास है जो धैर्य, संयम के साथ काम करता हैं तो उसका साथ कभी न छोड़े। क्योंकि वह व्यक्ति ही आपको आने वाले समय में सफलता का सही अर्थ समझा सकता है।
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