आचार्य चाणक्य की नीतियां पहले की भांति आज भी महत्व रखती हैं। आचार्य चाणक्य एक महान अर्थशास्त्री, राजनीतिकार और शिक्षाविद् थे। कहा जाता है कि जो व्यक्ति आचार्य चाणक्य की नीतियों का अनुसरण करता है उसे जीवन में हार का सामना कम करना पड़ता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में इन व्यक्तियों के बारे में भी बताया है जिन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती है।
श्लोक
बन्धाय विषयासङ्गः मुक्त्यै निर्विषयं मनः।
मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः॥
भावार्थ :
बुराइयों में मन को लगाना ही बंधन है और इनसे मन को हटा लेना ही मोक्ष का मार्ग दिखता है। इस प्रकार यह मन ही बंधन या मोक्ष देने वाला है।
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में बताया कि व्यक्ति को अपने मन से हर बुराई को हटा देना चाहिए क्योंकि यहीं एक चीज आपके मोक्ष प्राप्त करने में रोड़ा बन सकती है। क्योंकि जब किसी व्यक्ति के मन में बुराई उत्पन्न हो जाती हैं जो वह कई अन्य तरह के दोषों से लिफ्त हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति को बुराईयों से मन से निकाल देना चाहिए। अगर व्यक्ति मन को नियंत्रित कर लें तो वैराग्य के द्वारा वश में करके मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।
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