आचार्य चाणक्य की नीतियां भले ही कई लोगों को सही न लगे लेकिन उनके द्वारा बताई गई कई बातें जीवन में किसी न किसी तरीके से सच्चाई जरूर दिखाती है। भागदौड़ भरी जिदंगी में उनके कई विचार हम जरूर अनदेखा कर दें लेकिन अगर उन्हें ध्यान रखें जाए तो आप हर कसौटी में खरे उतारेंगे।
आचार्य चाणक्य ने अपनी कई नीतियों में धन को लेकर विस्तार से बताया कि किस तरह से धन का लोभ व्यक्ति का नाश कर देता है। ऐसे ही आचार्य ने बताया कि किस तरह से कमाया हुआ धन कभी पास नहीं रुकता है। ऐसे लोगों से धन की देवी लक्ष्मी जी नाराज हो जाती हैं और चली जाती हैं। जिस कारण ऐसे लोगों को बाद में दुख और संकटों का सामना करना पड़ता है।
श्लोक
अन्यायोपार्जितं वित्तं दशवर्षाणि तिष्ठति ।
प्राप्ते चैकादशे वर्षे समूलं तद् विनश्यति॥
भावार्थ
लक्ष्मी वैसे ही चंचल होती है परन्तु चोरी, जुआ, अन्याय और धोखा देकर कमाया हुआ धन भी स्थिर नहीं रहता, वह बहुत शीघ्र ही नष्ट हो जाता है। अतः व्यक्ति को कभी अन्याय से धन के अर्जन की प्रवृत्ति नहीं होनी चाहिए।
आचार्य चाणक्य ने अपनी इस नीति में बताया है कि अगर आप हमेशा के लिए धन को संभालकर रखना चाहते हैं तो इसके लिए सही तरीके से मेहनत करके कमाएं। तभी मां लक्ष्मी की कृपा आपके ऊपर हमेशा बनी रहेगा। वहीं अगर आपने गलत ढंग से पैसे कमाएं है जैसे जुआ, चोरी करके या फिर किसी को धोखा देकर तो यह धन ज्यादा दिन तक आपके पास ठीक नहीं पाएगा।
आचार्य चाणक्य के अनुसार मां लक्ष्मी का चंचल माना जाता है। इसका मतलब यह नहीं है कि आप गलत ढंग से कमाई का रास्ता अपना लें। इससे आपको वर्तमान के समय में तो खूब खुशी मिलेगी। लेकिन आने वाले समय में किसी न किसी तरह यह धन जरूर निकल जाएगा। इसके साथ ही कई कष्टों का सामना करना पड़ेगा। यह धन स्वास्थ्य, दुर्घटना या फिर कोई अन्य कारण से निकल सकता है। इसलिए हर कष्ट से बचने और मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए हमेशा सही रास्ते पर चलकर मेहनत करके धन एकत्रित करें। इससे आपको बरकत भी मिलेगी और हमेशा मां लक्ष्मी की कृपा बनीं रहेगी।
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