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सभी धर्मों में कान छिदवाने की परंपरा
हमारे देश में हर धर्म के लड़कियां अपने कानों को छिदवाती है। इसके पीछें दर्शनशास्त्री मानते हैं कि इससे सोचने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित रहता है।
कोरिया में हाल ही में की गई रिसर्च के अनुसार मानते है कि कान छिदवाने से वजन भी कम होता है।
सभी का माथे पर कुमकुम और तिलक लगाना।
हमारे समाज में हम यह देखते है कि कोई भी मांगलिक काम या फिर कोई शुभ काम हो तो हमारे घर की महिलाएं पुरूषों के माथें में टीका लगाते है या फिर जो सुहागने मपिलाएं होती है वह अपनी माथें में कुमकुम का इस्तेमाल करती है। इसके पीछे बैज्ञानिक कारण भी है।
इसके अनुसार जब आप आंखों के बीच माथे पर तिलक या कुमकुम लगाती है तो उस जगह ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा में रक्त का प्रवाह बढ जाता है जिससे हमारे शरीर की मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। जिससे हमारे चेहरे की कोशिकाओं तक अच्छी तरह ब्लड पहुंचता रहता है।
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