ऐसे करें भगवान सूर्य की पूजा और जानें इसका महत्व और पौराणिक कथाएं
नई दिल्ली: छठ के पर्व में मुख्य रूप से सूर्य उपासना का विधान होता है। इस दिन प्रात:काल में सूर्य की पहली किरण और सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण को अर्ध्य देकर पूजा की
ऐसे करें पूजा
सबसे पहले इस दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर अपने सभी नित्य कामों से निवृत्त होकर नदी के तट पर जाएं और आचमन करें इसके बाद सूर्योदय के समय अपने शरीर पर मिट्टी लगाकर नदी पर स्नान करें। इसके बाद दुबारा आचमन कर कपड़े पहने और इस सप्ताक्षर मंत्र को बोलते हुए ऊं खखोल्काय स्वाहा सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान सूर्य देव को लाल फूल, लाल रंग का कपड़ा और रक्त चंदन अर्पित करें। इसके बाद घी का दीपक जलाकर आरती करें इसके बाद पीले रंग की मिठाई से भोग लगाएं। फिर हाथ जोड़कर इस शिव प्रोक्त सूर्याष्टक का पाठ करें-
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर मनोस्तु ते।।
सप्ताश्चरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्ममज्म।
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यम्।।
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यम्।।
बृंहितं तेज:पुजं च वायु माकाशमेव च।
प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
बन्धूकपुष्पसंकाशं हारकुण्डलभूषितम्।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेज: प्रदीपनम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
तं सूर्य जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणामाम्यहम्।।
इसके बाद अपनी भूल-चूक की माफी मांगे। इससे सूर्य देव जल्द ही प्रसन्न होगे और आपको मनवांछित फलों की प्राप्ति होगी।
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