नई दिल्ली: श्री राम जिन्हें हम मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम से जानते है। हिन्दू धर्म के ग्रंथों के अनुासर राम को विष्णु के 10 अवतारों में से सातवां अवतार माना जाता है। श्री राम एक ऐसे देवता थे। जो अपने परिवार और प्रजा के लिए अपने प्राण भी निछावर कर देते थे।
जब राम अपने पिता के कहने पर 14 साल के लिए बनवास जानें का निश्चय किया तो माता सीता भी जाने कि जिद करने लगी। अंत में श्री राम उनके सामने हार के साथ चलने को कहा। इसके बाद जब लक्ष्मण को इस बारें में पता चला तो वह भी साथ चलनें को तैयार हो गएं, क्योकि वह अपने भाई और माता सीता को सबसे अधिक प्रेम करते थे। इसी कारण वह वनवास में राम और सीता के साथ गए। इस बारें में पूर्ण जानकारी और वर्णन महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य रामायण में बताया गया है।
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लक्ष्मण एक ऐसे भाई थे जो अपने भाई और माता रूपी सीता के लिए कुछ भी कर सकते है। इसी कारण लक्ष्मण श्री राम और सीता के साथ रावण के वध से लेकर अयोध्या वापसी तक साथ रहें। लक्ष्मण जिसे राम जान से ज्यादा प्यार करते है, लेकिन ऐसा क्या हुआ कि उन्होनें लक्ष्मण को मृत्युदंड की सजा सुनाई। इस बारें में वाल्मीकी मे रामचरित मानस में बताया है।
रामचरित मानस के अनुसार माना जाता है कि ये घटना उस समय की है जब श्री राम रावण का वध करके अयोध्या लौट आते है और अयोध्या के राजा बन जाते है। एक दिन यम देवता कोई महत्तवपूर्ण चर्चा करने श्री राम के पास आते है। चर्चा शुरू करने से पहले यम भगवान राम से कहते है की आप जो भी प्रतिज्ञा करते हो उसे पूर्ण करते हो।
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