Nag Panchami 2018: 38 साल बाद नाग पंचमी में दुर्लभ संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
हिंदू धर्म में नाम पंचमी का बहुत अधिक महत्व है। मान्याओं के अनुसार इस दिन नागों की पूजा की जाती है। साथ ही दूध चढ़ाया जाता है। जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
धर्म डेस्क: हिंदू धर्म में नाग पंचमी का बहुत अधिक महत्व है। मान्याओं के अनुसार इस दिन नागों की पूजा की जाती है। साथ ही दूध चढ़ाया जाता है। श्रावण मास की शुक्ल की पचंमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है। इस बार नाग पंचमी में दुर्लभ संयोग है। जो कि 38 सालों बाद पड़ रहा है।
इस बार नाग पंचमी के दिन 15 अगस्त पड़ने के साथ-साथ सर्वार्थसिद्ध योग और रवि योग बन रहा है। जो कि बहुत ही शुभ माना जा रहा है। संयोग से बुधवार के दिन बुध की राशि में चंद्रमा की साक्षी में इस तरह के योग के अंतर्गत नागपंचमी का होना, खासकर सूर्य, राहु, बुध का कर्क राशि में गोचरस्थ रहना और उदय कालिक कुंडली में कर्कोटक काल सर्प योग विशेष है। (Raksha Bandhan 2018: जानिए कब है रक्षाबंधन, इस शुभ मुहूर्त में बांधे राखी)
उत्तर भारत और दक्षिण भारत में अलग-अलग तिथि में नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। जहां उत्तर भारत में सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। वहीं दक्षिण भारत में ये पर्व कृष्ण पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस बार नाग पंचमी 15 अगस्त को मनाई जाएगी।
नागपंचमी में पूजा का शुभ मुहूर्त
इस साल नाग पंचमी हस्त नक्षत्र और साध्य योग में पड़ रही है। यह बहुत ही दुर्लभ योग है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
सुबह 11 बजकर 48 मिनट से शाम 4 बजकर 13 मिनट कर।
जिन लोगों को नाग पूजा और काल सर्प योग की साधना करनी है वो सोग इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा
सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 1 बजकर 32 मिनट तक।
ऐसे करें पूजा
नाग पंचमी के दिन सर्प को देवता मान कर पूजा करते हैं। इस दिन पूजा की विशेष विधि होती है। गरुड़ पुराण के के अनुसार नाग पंचमी की सुबह स्नान आदि करके शुद्ध होने के पश्चात भक्त अपने घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर नाग का चित्र बनाएं या प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद फल, सुगंधित पुष्पों नाग देवता पर दुध चढ़ाते हुए पूजा करें।
नागपंचमी पर रुद्राभिषेक का भी अत्यंत महत्व है। पुराणों के अनुसार पृथ्वी का भार शेषनाग ने अपने सर पर उठाया हुआ है इसलिए उनकी पूजा अवश्य की जानी चाहिए। ये दिन गरुड़ पंचमी के नाम से भी प्रसिद्ध है और नाग देवता के साथ इस दिन गरुड़ की भी पूजा की जाती है। (Sawan Month 2018: जानिए बेलपत्र तोड़ने और शिवलिंग में चढ़ाने का सही तरीका )
नाग पंचमी मनाने के कारण
ऐसी मान्यता है कि श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि को समस्त नाग वंश ब्रह्राजी के पास अपने को श्राप से मुक्ति पाने के लिए मिलने गए थे। तब ब्रह्राजी ने नागों को श्राप से मुक्त किया था, तभी से नागों की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है।
एक दूसरी कथा भी प्रचलित है जहां पर ब्रह्राजी ने धरती का भार उठाने के लिए नागों को शेषनाग से अलंकृत किया था तभी से नाग देवता की पूजा की जाती है। इसके अलावा भगवान कृष्ण ने सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को कालिया नाग का वध करके समस्त गोकुल वासियों की जान बचाई थी।
एक अन्य मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन में वासुकि नाग को रस्सी के रूप में प्रयोग किया गया था। इस कारण से भी नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है।
वहीं, एक अन्य मान्यता के अनुसार एक किसान के दो बेटे और एक पुत्री थी। एक दिन हल चलाते समय उसने सांप के तीन बच्चों को रौंदकर मार डाला। नागिन बच्चों के दु:ख में बहुत दुखी हुई, उसने बदला लेने के लिए रात को जाकर किसान की पत्नी और उसके दोनों बेटों को डस लिया। फिर अगले दिन वह उसकी बेटी को डंसने गई तो किसान की बेटी ने उसे दूध पिलाया तथा अपने माता-पिता को माफ करने के लिए प्रार्थना की। नागमाता प्रसन्न हुई तथा उसने सभी को जीवन दान दे दिया।