शनि जयंती: शनि शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश से पहले इन नियम को मानना है जरूरी
आज शनि जयंती है और इस खास दिन हम आपको महाराष्ट्र में स्थापित शनि शिंगणापुर मंदिर के बारे में खास बताने जा रहे है।
आज शनि जयंती है और इस खास दिन हम आपको महाराष्ट्र में स्थापित शनि शिंगणापुर मंदिर के बारे में खास बताने जा रहे है। शनिदेव के मंदिर पूरे देश में अलग-अलग जगहों पर मिल जाएंगे लेकिन शनि शिंगणापुर का अपना एक अलग महत्व है। सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि इस स्थान को शनि देव के मंदिर के नाम से जाना जाता है लेकिन कोई मंदिर नहीं है। आपसपास खुला स्थान है।
इस जगह शनि भगवान की मूर्ति काले रंग की है। 5 फुट 9 इंच ऊंची साथ ही 1 फुट 6 इंच चौड़ी यह मूर्ति संगमरमर के एक चबूतरे पर खुले आसमाने के नीचे विराजमान है। यहां शनिदेव की मूर्ति किसी भी मौसम में अचल रहती है। राजनेता व प्रभावशाली वर्गों के लोग यहां अक्सर आते रहते हैं। मंदिर परिसर में प्रवेश करने के कुछ नियम है। सबसे पहला नियम यह है कि आप साधारण आदमी हो या सेलेब्स आपको मंदिर परसिर में प्रवेश से पहले आपको साधारण वस्त्र धारण करने होंगे।
मंदिर की विशेषता जिसे जानना सबके लिए है जरूरी
नहीं है मंदिर में कोई पुजारी
आपको बता दें कि इस मंदिर में आजतक कोई पुजारी नहीं है। यह मंदिर सभी पुरुषों के लिए खुला है। इस प्रतिमा में केवल सरसों का तेल चढ़ाया जाता है। जिससे सभी भक्तों का मनोकामना पूरी होती है।
एकलौता मंदिर जो है खुले आसमान के नीचे
शिंगणापुर के शनिदेव अपने आप पर एक अनोखा मंदिर है। यह ऐसा एकलौता मंदिर है जिसकी प्रतिमा खुले आसमान में बनी हुई है। इस मंदिर में कोई भी छत नहीं है। यह प्रतिमा लगभग 5 फीट 9 इंच लंबी व 1 फीट 6 इंच चौड़ी है। इस मंदिर में जाने के अपने ही नियम है।
ये हैं नियम
इस मंदिर में शनि देव को तेल चढानें के लिए पुरुषों को केसरिया रंग के ही वस्त्र धारण करने पडते है साथ ही इन्हीं कपड़ो में स्नान करने के बाद तेल चढाने की परंपरा है। माना जाता है कि ऐसा करने से केवल हमारा शरीर ही शुद्ध नहीं होता है बल्कि मन की भी शुद्धि हो जाती है जिससे हमारे मन में चल रही कोई भी अन्य बात समाप्त हो जाए। साथ ही इस रंग के कपड़े पहनने का तात्पर्य है कि आपके मन में धर्म-कर्म के भाव उत्पन्न हो जाए। इसलिए इस रंग के वस्त्र धारण किए जाते है।
यहां के गांव में नहीं लगते घर में ताले
यहां पर कोई भी अपने घर में ताला नहीं लगाता है। लोगों का मानना है कि इस गांव और लोगों की रक्षा स्वयं शनि देव कर रहे है। जिसके कारण हर किसी घर में कोई भी दरवाजा नहीं है।
शनिदोष से मिलता है छुटकारा
यह एक एकलौता मंदिर है। जहां पर तेलाभिषेक और दर्शन करने मात्र से ही हर परेशानी दूर हो जाती है।
ये भी पढ़ें- Vat Savitri Vrat 2019: वट सावित्री व्रत पर इस बार बन रहे है 4 दुर्लभ योग, जानें पूजन विधि और व्रत कथा
साप्ताहिक राशिफल 3 से 9 जून: कैसा बीतने वाला है महीने का पहला सप्ताह, जानिए पूरी राशि का हाल