आपने बहुत बार घर के बड़े-बुजुर्गों से ये कहते सुना होगा कि घर से बाहर निकलते समय अपना दायां पैर पहले रखना। ये कहावत बहुत पुरानी है और अच्छी भी है। दायां, यानी सीधा पैर। जब हम किसी जरूरी काम से घर से बाहर जाते हैं और घर से बाहर निकलते समय अपना दायां पैर पहले रखते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि इससे आपके सारे काम बहुत अच्छे से पूरे होंगे और आपको रास्ते में किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
किसी भी काम के लिये उठाया गया पहला कदम ही हमारी आगे की मंजिल तय करता है और दायां, यानी सीधा पैर सकारात्मकता को दर्शाता है। अतः अगर आप भी किसी जरूरी काम के लिये घर से बाहर जा रहे है, तो पहले अपना दायां पैर दहलीज के बाहर रखें। इससे आपका दिन अच्छा बीतेगा और आपका काम भी अच्छे से पूरा होगा।
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार घर से बाहर निकलते समय सबसे पहले दायां पैर रखने की परंपरा बहुत पुरानी है। किसी भी जरूरी काम के लिये घर से बाहर जाने के लिये अगर दायां पैर पहले बाहर रखा जाये, तो ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति का पूरा दिन अच्छा जायेगा और उसका काम भी अच्छे से बनेगा। ऐसे ही आपने देखा होगा कि घर में जब शादी करके नयी दुल्हन को लाया जाता है, तो उससे सबसे पहले अपना दायां पैर घर के अंदर रखकर चावल से भरे कलश को गिराने के लिये कहा जाता है।
इस विधान के पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से घर में खुशियां आती हैं और माहौल में पॉजिटीविटी बनी रहती है, जबकि बायां, यानी उल्टा पैर पहले रखना निगेटिवटी का संकेत है। इसलिए अगर आप भी किसी शुभ काम के लिये, किसी अच्छे काम के लिये घर से बाहर जा रहे हैं, तो पहले अपना दाया पैर ही घर के बाहर रखें। इससे आपका हर काम बनेगा।
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