आज माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि और दिन सोमवार है | चतुर्थी तिथि आज देर रात 3 बजकर 38 मिनट तक रहेगी | आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार हर महीने के कृष्ण और शुक्ल दोनों पक्षों की चतुर्थी को भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। जिसमे से कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत किया जाता है और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत किया जाता है और आज माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत किया जायेगा |
बता दें, माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को तिल चतुर्थी, कुन्द चतुर्थी अथवा तिलकुन्द चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है । इस दिन भगवान गणेश की पूजा में तिल और कुन्द के फूलों का बड़ा ही महत्व है। माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत के साथ ही उमा चतुर्थी के रूप में भी मनाया जाता है। हमारी संस्कृति में गणेश जी को प्रथम पूजनीय का दर्जा दिया गया है। किसी भी देवी-देवता की पूजा से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा का विधान है और इन्हें चतुर्थी तिथि का अधिष्ठाता माना गया है।
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गणेश बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य को देने वाले है | इनकी उपासना शीघ्र फलदायी मानी जाती है | कहते है कि इस दिन जो व्यक्ति चतुर्थी व्रत रखता है उनकी समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है | साथ ही भगवान की कृपा से हर तरह के संकटों से छुटकारा मिलता है, उनके सारे काम बनते हैं, ज्ञान की प्राप्ति होती है और धन-धान्य में भी बढ़ोतरी होती है। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा।
गणेश चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – 15 फरवरी को 1 बडकर 58 मिनट से शुरू
चतुर्थी तिथि समाप्त – 16 फरवरी को रात 3 बजकर 38 मिनट तक
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय – सुबह 9 बजकर 14 मिनट से रात 9 बजकर 32 मिनट तक
वैनायकी गणेश चतुर्थी व्रत की पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करे। इसके बाद गणपति का ध्यान करे। इसके बाद एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाएं इस कपड़े के ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति रखें। अब गंगा जल छिड़कें और पूरे स्थान को पवित्र करें। इसके बाद गणपति को फूल की मदद से जल अर्पण करें। इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाए। इसके बाद लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची और कोई मिठाई रखकर चढ़ाए। इसके बाद नारियल और भोग में मोदक अर्पित करें। । गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्ती से भगवान गणेश की आरती करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
या फिर
ॐ श्री गं गणपतये नम: का जाप करें।
अंत में चंद्रमा को दिए हुए मुहूर्त में अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करें
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