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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र विनायक चतुर्थी 2017: इस शुभ मुहूर्त में ऐसे करें मंत्रों के साथ श्री गणेश की पूजा, होगी हर इच्छा पूरी

विनायक चतुर्थी 2017: इस शुभ मुहूर्त में ऐसे करें मंत्रों के साथ श्री गणेश की पूजा, होगी हर इच्छा पूरी

विनायक चतुर्थी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को है। अमावस्या के दिन पड़ने वाली इस चतुर्थी तिथि को ही विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार विनायक चतुर्थी 22 नवंबर, बुधवार को है।

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धर्म डेस्क: विनायक चतुर्थी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को है। अमावस्या के दिन पड़ने वाली इस चतुर्थी तिथि को ही विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार विनायक चतुर्थी 22 नवंबर, बुधवार को है। आज के दिन विघ्नहर्ता, सिद्धिदायक, मंगलकर्ता, संकटनाशक गणेश भगवान की पूजा करने से सभी काम सिद्ध होते हैं। सभी मनोरथ पूरे होते हैं। इनकी पूजा से विद्या, बुद्धि, शक्ति, सम्मान, जीत, धन-सम्पदा सब कुछ मिलता है। साथ ही आज पूरे दिन, पूरी रात सारे काम सिद्ध करने वाला रवि योग भी है। बुधवार के दिन पड़ने के कारण इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है। (विनायक चतुर्थी 2017: बुधवार और विनायकी एक साथ, ये उपाय कर करें भगवान गणेश को प्रसन्न)

गणपति को विघ्नहर्ता और ऋद्धि-सिद्धी का स्वामी कहा जाता है। इनका स्मरण, ध्यान, जप, आराधना से कामनाओं की पूर्ति होती है व विघ्नों का विनाश होता है। वे शीघ्र प्रसन्न होने वाले बुद्धि के अधिष्ठाता और साक्षात् प्रणवरूप है। गणेश का मतलब है गणों का स्वामी।

इस दिन व्रत रखने से सभी कामनाएं पूरी होती है और विघ्न-बाधाएं दूर होती है।  भगवान श्री गणेश बुद्धि प्रदान करने वाले देवता भी हैं। अत: यह व्रत बुद्धि की शुद्धि को देखते हुए अधिक महत्व रखता है। इस शुभ मुहूर्त में ऐसे करें पूजा।

शुभ मुहूर्त
सुबह 11 बजकर 23 मिनट से लेकर 1 बजकर 13 मिनट तक

ऐसें करें पूजा
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके भगवान श्री गणेश का स्मरण करें। इसके बाद मंदिर या घर पर श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करें। अपनी इच्छानुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें।

इसके बाद संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार से पूजन और आरती करें। असके बाद श्रीगणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं।  साथ ही इस मंत्र का जाप करें-
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥

फिर ऊं गं गणपतयै नम: मंत्र को बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं।

गणेश जी की पूजा में इस मंत्र से उन्हें यज्ञोपवीत (जनेऊ) समर्पित करना चाहिए।
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम्।
उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर॥

भोग के रुप में गुड़ या बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। साथ ही इश मंत्र का जाप करें।
शर्कराघृत संयुक्तं मधुरं स्वादुचोत्तमम।
उपहार समायुक्तं नैवेद्यं प्रतिगृह्यतां॥

साथ ही श्रीगणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें।
पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अपनी इच्छानुसार दक्षिणा दें। और आप भी शाम के समय भोजन ग्रहण करें। आपने जो प्रसाद में लड्डू चढाएं है। उसमें से 5 लड्डू निकाल कर बचे हुए लड़्डू को प्रसाद के रुप में बांट दें। अगली स्लाइड में पढ़ें गणेश जी की पूजा के बाद इस मंत्र को पढ़कर भगवान को प्रणाम करना चाहिए

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