आज हम वास्तु शास्त्र में बात करेंगे पश्चिम दिशा में शौचालय के बारे में। शौचालय के लिए पश्चिम दिशा को द्वितीय दिशा के रूप में स्वीकार किया गया है, लेकिन ठीक पश्चिम दिशा में शौचालय बनाने से घर के हर्ष तत्व में कमी आती है।
घर के निवासियों के चेहरे मलिन और उदास रहते हैं। घर की छोटी बेटी भी उदास और इंट्रोवर्ट हो जाती है। वो अपनी बातें किसी से शेयर नहीं करती। जब ज्यादा ठंड पड़ती है तो उस घर में डिप्रेशन छाया रहता है। घर के निवासियों के स्वास्थ्य में लोहा, जिंक, मैग्नीशियम और अन्य खनिज तत्वों की कमी से दिक्कतें होती हैं। घर के सदस्यों का, विशेषकर महिलाओं का हिमोग्लोबिन कम हो जाता है।
अगर किसी वजह से आपके घर के ठीक पश्चिम दिशा में शौचालय है तो आपको उसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए उस दिशा में सफेद रंग करवाना चाहिए। उस दिशा में मैटल से बनी कोई चीज़ लगवानी चाहिए या टॉयलेट का दरवाजा मैटल का लगवाना चाहिए। साथ ही कांच के कटोरे में समुद्री नमक भरकर उस क्षेत्र में रखना चाहिए और कुछ-कुछ दिन बाद बदल देना चाहिए। साथ ही कुछ-कुछ दिन के अंतर से दोपहर बाद 3 से 5 बजे के बीच छोटी कन्याओं को गुड़ देना चाहिए। ये उपाय करने से पश्चिम दिशा में शौचालय होने के बावजूद आपके घर की खुशियां बरकरार रहेंगी।
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