वास्तु शास्त्र में आचार्य इंदु प्रकाश बताएंगे नवरात्र पूजा में स्वास्तिक चिन्ह के महत्व के बारे में। हिंदू शास्त्रों में तो स्वास्तिक का महत्व है ही, लेकिन वास्तु शास्त्र में भी स्वास्तिक का बहुत महत्व है।
ऊँ और स्वास्तिक दोनों ही चिह्न शुभता के प्रतीक माने जाते हैं। जब भी कोई शुभ कार्य आरंभ किया जाता है तो हल्दी या सिंदूर से स्वास्तिक बनाने का विधान है।ऐसे ही नवरात्र के दौरान पूजा घर के अंदर या दरवाजों के दोनों ओर स्वास्तिक का चिह्न बनाना चाहिए। इससे वास्तु दोषों के नकारात्मक प्रभावों से छुटकारा मिलता है और देवी मां की भी कृपा बनी रहती है।
दिशा की बात करे तो उत्तर-पूर्व दिशा स्वास्तिक का चिह्न बनाने के लिये सबसे अच्छी दिशा है। इस दिशा में स्वास्तिक का चिह्न सकारात्मक ऊर्जा लाने वाला होता है और आप भी स्वयं के साथ गहरा जुड़ाव अनुभव करेंगे।
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