नवरात्र स्पेशल वास्तु शास्त्र में आज हम चर्चा करेंगे हवन की दिशा के बारे में। शास्त्रों में नवरात्र के दौरान नवमी तिथि को हवन करने की बात कही गयी है और आज नवमी तिथि है । आपको बता दूं कि देवी अष्टगंध के अलावा जौ, गुग्गुल, तिल इत्यादि से यज्ञ करने से उत्पन्न धुएं से न केवल व्यक्ति के दिमाग का माइंड एंड बॉडी कोऑर्डिनेशन ठीक होता है, बल्कि घर के वास्तु में और घर की कलेक्टिव बायोक्लॉक में बड़े ही पॉजिटिव बदलाव आते हैं । पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के बीच बहने वाली इलेक्ट्रो मैग्नेटिक तरंगों के बीच बसे हमारे घर में अग्नि कोण, हवन के लिए सबसे अच्छा होता है ।
घर के अग्नि कोण, यानि दक्षिण-पूर्व दिशा का कोना, यानि घर का वो हिस्सा जहां दक्षिण और पूर्व दिशायें मिलती हों, वहां बैठकर हवन करना सबसे अच्छा होता है । हवन करने वाले व्यक्ति को भी दक्षिण-पूर्व में मुंहकरके बैठना चाहिए । इस प्रकार सही दिशा में किया गया हवन सही परिणाम ही देता है और उससे वास्तुदोष भी शांत होते हैं ।
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