वास्तु शास्त्र में कल आचार्य इंदु प्रकाश ने आग्नेय कोण, यानि दक्षिण-पूर्व दिशा में श्यनकक्ष न होने के बारे में बताया था। वहीं आज उसी कड़ी आज बताएगे दूसरी दिशाओं के बारे में। बताया था कि दक्षिण-पूर्व दिशा में श्यनकक्ष होने से पति-पत्नी के संबंधों में कलह की स्थिति उत्पन्न होती है। इस दिशा में शयनकक्ष होने से व्यक्ति का क्रोध भी बढ़ता है । इस दिशा में सोने से स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता।
इस दिशा में सोने वाले व्यक्ति को अग्नि- तत्व से संबंधित परेशिनियां हो सकती हैं । इसमें उच्च रक्तचाप, यानी हाई बी.पी, डायबिटीज आदि बीमारियां शामिल हैं । अतः आग्नेय कोण में शयनकक्ष अवॉयड ही करना चाहिए, जबकि अन्य दिशाओं में सोते समय ये ध्यान रखना चाहिए कि सोते समय अपना सिर पश्चिम या उत्तर दिशा में करके न सोएं ।
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इन दोनों दिशाओं में सिर करके सोने से तनाव बढ़ता है । इसलिए सोते समय अपना सिर या तो दक्षिण दिशा की ओर करके रखें या फिर पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोएं । इससे नींद अच्छी आती है और दिमाग में पॉजिटिविटी बनी रहती है । रिश्तों में मीठास बनी रहती है ।
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