धर्म डेस्क: शंख समुद्र मंथन के दौरान निकला था। जो कि 14 रत्नों में से एक माना जाता है। शंख समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी की तरह निकला था। जिसके कारण शंख को मां लक्ष्मी के भाई के रुप में पूजा जाता है। शंख एक ऐसा रत्न है। जिसे हर शुभ काम पूजा-पाठ, शादी आदि में जरुर बजाया जाता है।
ऐसे अवसर में शंख बजाने को लेकर माना जाता है कि ऐसा करने से हर काम शुभ होते है। इतना ही नहीं इसे घर पर रखने मात्र से नकारात्मक ऊर्जा घर पर प्रवेश नहीं कर पाती है। साथ ही वास्तु दोष से निजात मिलता है।
हमारे शास्त्रों में शंख का हमेशा से बहुत महत्व रहा है। किसी भी अच्छे कार्य की शुरुआत शंख बजाकर ही की जाती थी। कहते हैं शंख में देवतागण वास करते हैं। इसके मध्य में वरुण देव, पृष्ठ भाग में ब्रह्मा जी और अग्र भाग में गंगा और सरस्वती का निवास माना जाता है।
घर में शंख रखने से वास्तु दोषों से छुटकारा मिलता है, साथ ही धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है। अगर आपके घर के किसी हिस्से में वास्तु दोष है, तो उस कोने में शंख रखने से वहां का वास्तु दोष समाप्त हो जाता है।
शंख प्रायः तीन प्रकार के होते हैं- दक्षिणावृत्ति शंख, मध्यावृत्ति शंख था वामावृत्ति शंख।
जो शंख दाहिने हाथ से पकड़ा जाता है, वह दक्षिणावृत्ति शंख कहलाता है। जिस शंख का मुंह बीच में खुलता है, वह मध्यावृत्ति और जो शंख बायें हाथ से पकड़ा जाता है, वह वामावृत्ति शंख कहलाता है। इनमें से दक्षिणावृत्ति शंख को लक्ष्मी का कारक माना जाता है। इसे घर में रखने से धन-सम्पदा में बरकत होती है।
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