वरुथिनी एकादशी व्रत कथा
वरुथिनी एकादशी के संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं। उनमें से एक लोकप्रिय कथा राजा मांधाता की है। प्राचीन काल में नर्मदा नदी के किनारे बसे राज्य में मांधाता राज करते थे। वे जंगल में तपस्या कर रहे थे, उसी समय एक भालू आया और उनके पैर खाने लगा। मांधाता तपस्या करते रहे। उन्होंने भालू पर न तो क्रोध किया और न ही हिंसा का सहारा लिया।
पीड़ा असहनीय होने पर उन्होंने भगवान विष्णु से गुहार लगाई। भगवान विष्णु ने वहां उपस्थित हो उनकी रक्षा की पर भालू द्वारा अपने पैर खा लिए जाने से राजा को बहुत दुख हुआ। भगवान ने उससे कहा- हे वत्स! दुखी मत हो। भालू ने जो तुम्हें काटा था, वह तुम्हारे पूर्व जन्म के बुरे कर्मो का फल था। तुम मथुरा जाओ और वहां जाकर वरुथिनी एकादशी का व्रत रखो। तुम्हारे अंग फिर से वैसे ही हो जाएंगे। राजा ने आज्ञा का पालन किया और फिर से सुंदर अंगों वाला हो गया।
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