Varuthini ekadashi 2018
वरूथिनी एकादशी व्रत कथा
एक बार मांधाता नाम का एक तपस्वी और दानवीर राजा नर्मदा नदी के किनारे अपना राजपाठ अच्छे से चला रहा था। राजा बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति का था। एक दिन राजा जंगल में तपस्या करने गया। वहां राजा को अकेला देखकर भालू ने राजा पर हमला कर दिया और राजा के पैर को चबाने लगा। जिससे राजा घबरा गए पर राजा ने तपस्या करना नहीं छोड़ा। भालू राजा को घसीटता हुआ ले जाने लगा तब राजा ने भगवान विष्णु का जप किया। राजा की पुकार सुनकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और अपने सुदर्शन से भालू को मार दिया।
राजा की जान तो बच गई पर राजा का पैर भालू खा चुका था। जिससे राजा निराश हो गया। राजा ने भगवान विष्णु से पूछा कि है देव मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ। तब भगवान विष्णु ने राजा को बताया कि तुम्हारे कुछ पुराने कर्म ऐसे थे जिनकी इस रूप में तुम्हें सजा मिली है।
राजा ने भगवान विष्णु से इसका उपाय पूछा, तब भगवान विष्णु ने राजा से कहा कि हे राजन तुम निराश मत हो। तुम मेरे वाराह अवतार की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करो। और वैशाख मास के कृष्ण पक्ष पर वरूथिनी एकादशी का व्रत कर, विधि-विधान से पूजा करों। तुम फिर से अपने संपूर्ण अंगों के साथ खड़े नजर आओगे। भगवान विष्णु की बात सुनकर राजा बिल्कुल वैसा ही किया। और कुछ ही दिन बाद राजा का पैर वापस आ गया। इस घटनाक्रम के बाद से राजा की आस्था भगवान में और बढ़ गई और राजा भगवान की भक्ति में और भी ज्यादा लीन हो गया।
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