धर्म डेस्क: 12 अप्रैल, गुरुवार वैशाख कृष्ण पक्ष की वरूथिनी एकादशी है। हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखने और उनकी पूजा करने का विधान है, लेकिन गृहस्थ को केवल शुक्ल पक्ष की एकादशी में व्रत करना चाहिए जबकि जो ग्रहस्थ नहीं है, उनके लिए कृष्ण और शुक्ल, दोनों पक्षों की एकादशी नित्य है।
निर्णयसिन्धु के पृष्ठ- 36, समय प्रकाश के पृष्ठ- 62, कालविवेक के पृष्ठ- 426, हेमाद्रि, कालखण्ड के पृष्ठ- 150, ब्रह्मवैवर्त पुराण और पद्मपुराण में आया है कि गृहस्थ केवल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की शयनी और कार्तिक शुक्ल पक्ष की बोधनी एकादशी के मध्य पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी और बाकी शुक्ल पक्ष की एकादशी ही कर सकते हैं।
वरूथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ: 06 बजकर 40 मिनिट (11 अप्रैल 2018)
पारण का समय: 06 बजकर 01 मिनिट से 08 बजकर 33 मिनिट तक
एकादशी तिथि समाप्त: 08 बजकर 12 मिनिट (12 अप्रैल 2018)
वरूथिनी एकादशी की पूजा विधि
शास्त्रों के अनुसार एकादशी शुरु होने के एक दिन पहले से ही इसके नियमों का पालन करना पड़ता है। इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। फिर स्वच्छ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। घी का दीप अवश्य जलाए। जाने-अनजाने में आपसे जो भी पाप हुए हैं उनसे मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।इस दौरान ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप निरंतर करते रहें। एकादशी की रात्रि प्रभु भक्ति में जागरण करे, उनके भजन गाएं। साथ ही भगवान विष्णु की कथाओं का पाठ करें। द्वादशी के दिन उपयुक्त समय पर कथा सुनने के बाद व्रत खोलें।
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