Valmiki Jayanti 2018: महर्षि वाल्मीकि ने रामायण लिखकर संस्कृत भाषा के आदि कवि होने का गौरव प्राप्त किया है। वाल्मीकि आदि भारत के महर्षि थे। राम पर कई किताबें लिखी गई हैं लेकिन सबसे ज्यादा जिसकी चर्चा होती है वो रामायण ही है। रामायण के नाम पर कई टीवी सीरियल भी बन चुके हैं। महर्षि वाल्मीकि के बाद तुलसी दास ने राम चरित मानस लिखा था, हालांकि दोनों में काफी भिन्नताएं हैं। आज वाल्मीकि जयंती है और इस मौके पर हम आपको उनके बारे में कुछ रोचक बातें बताने जा रहे हैं जो आप पहले नहीं जानते होंगे।
अंगुलिमाल से कैसे महर्षि बने वाल्मीकि?
पौराणिक कथा के मुताबिक रत्नाकर अंगुलिमाल नाम के डाकू थे, परिवार के भरण-पोषण के लिए वो लोगों से लूटपाट करते थे। वो लोगों की उंगलियां काटकर उसकी माला पहनते थे, एक बार उनकी मुलाकात नारद जी से हुई। उन्हें लूट-पाट करता देख नारद जी ने उनसे पूछा कि वो जो पाप करके परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं क्या उनका परिवार इस पाप में उनका भागीदार बनेगा? यह सोचकर वो अचरज में पड़ गए, अपनी पत्नी और परिवार के लोगों से जब उन्होंने यह सवाल पूछा तो उन्होंने उनके पाप में भागीदार बनने से मना कर दिया। यह सुनकर उन्हें झटका लगा। वो वापस आए और उन्होंने नारद जी से क्षमा मांगी। नारद जी ने उन्हें राम-नाम जपने का उपदेश दिया, लेकिन वो ये नाम नहीं बोल पा रहे थे, इसके बाद नारद जी ने उनसे कहा कि वो 'मरा-मरा' बोले, जिसके बाद वो राम-राम का जप करने लगे। इस तरह एक लुटेरा महर्षि वाल्मीकि बन गया।
कैसे पड़ा वाल्मीकि नाम?
एक कथा के अनुसार एक बार ये ध्यान में मग्न थे, और इतनी कड़ी तपस्या में थे कि दीमक ने इनके शरीर पर अपना घर बना लिया था। दीमकों के घर को वाल्मीकि कहा जाता है इसी वजह से उनका नाम वाल्मीकि पड़ गया।
जब श्री राम ने माता सीता को त्याग दिया था, वो वाल्मीकि के आश्रम में रहने लगी थीं। लव-कुश को शिक्षा-दीक्षा भी वाल्मीकि ने ही दी थी।
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