Utpanna Ekadashi 2017: इस शुभ मुहूर्त में विधि विधान से पूजा कर प्राप्त करें उत्पन्ना देवी कृपा
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न हुई इसी देवी ने ही उनकी जान बचाई थी। भगवान विष्णु ने खुश होकर इस देवी को एकादशी का नाम दिया था। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा के बारें में।
धर्म डेस्क: हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व है। साल में पड़ने वाली 24 एकादशी का अपना-अपना महत्व रखती है। लेकिन आज की एकादशी का अधिक महत्व है, क्योंकि इसी एकादशी के साथ इस व्रत की शुरुआत होती है। इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहते है। है। इनमे से जो पहले एकादशी आती है। वो मार्गशीर्ष एकादशी को आती है। जिसे उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह एकादशी 14 नवंबर, मंगलवार को है।
मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष के दिन एकादशी देवी प्रगट हुई थी जिसके कारण इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न हुई इसी देवी ने ही उनकी जान बचाई थी। भगवान विष्णु ने खुश होकर इस देवी को एकादशी का नाम दिया था। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा के बारें में।
शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 13 नवंबर को 12:25 बजे से शुरु
समापन तिथि:14 नवंबर 12:35 बजे तक।
पारण का समय(15 नवंबर): 06:47 से 08:54 बजे तक।
ऐसे करें पूजा
कादशी तिथि पर स्नानादि से निवृत्त होकर पहले संकल्प लें और श्री विष्णु के पूजन-क्रिया को प्रारंभ करें| प्रभु को फल-फूल, तिल, दूध, पंचामृत आदि निवेदित करें| आठों पहर निर्जल रहकर विष्णुजी के नाम का स्मरण करें एवं भजन-कीर्तन करें। इस दिन ब्राह्मण भोज एवं दान-दक्षिणा का विशेष महत्व होता है| अत: ब्राह्मण को भोज करवाकर दान-दक्षिणा सहित विदा करने के पश्चात ही भोजन ग्रहण करें। विष्णु सहस्त्रनाम का जप अवश्य करें| इस प्रकार विधिनुसार जो भी कामिका एकादशी का व्रत रखता है उसकी कामनाएं पूर्ण होती हैं।
उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा
एक भयानक राक्षस ने अपनी शक्तियों से स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था। राक्षस का नाम मुर था, इसके पराक्रम से स्वर्ग में कोई भी देवता टिक नहीं पाया था। जिसके बाद सभी देवतागण भोलेनाथ के पास गए और उन्हें पूरी गाथा सुनाई। तभी भगवान शिव ने सभी को भगवान विष्णु के पास जाने को कहा। तभी सभी देवतागण क्षीरसागर पहुंचे। वहां देखा कि विष्णु गहरी नींद में थे। सभी देवों ने विष्णु भगवान के जगने के इंतजार किया। जब भगवान विष्णु गहरी निंद्रा से जागे तो देवताओं ने वृतांत सुनाई।
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