यह हिंदू धर्म के सबसे शुभ और महत्वपूर्ण धर्मों में से एक है। हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत चंद्र मास के 13 वें दिन (त्रयोदशी) पर रखा जाता है। जानिए इस व्रत के बारें में कुछ खास बातें।
lord shiva
त्रयोदशी के दिन देवताओं व राक्षसों को अपनी गलती का एहसास हुआ तथा इस गलती के लिए उन्होंने भगवान शिव से माफी मांगी। अतः भगवान शिव ने उन्हें माफ किया तथा तब से इस दिन को प्रदोषम कहा जाता है। यह भी धारणा है कि अगर कोई प्रदोष काल में भगवान शिव से प्रार्थना करे तो भगवान शिव उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं तथा उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है।
इस दिन कई लोग उपवास रखते हैं। दोपहर को पूजा होती है जिसके बाद शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। अभिषेक, सुर्यास्त के 48 मिनट पहले आरंभ होता है तथा सूर्यास्त के 144 मिनट बाद समाप्त किया जाता है। सूर्यास्त के एक घंटा पहले स्नान किया जाता है तथा बाद में भगवान शिव, देवी पार्वती, गणेश, स्कंद व नंदी को पूजा जाता है। इसके बाद, भगवान शिव का आह्वान होता है। पूजा की समाप्ति पर प्रदोष की कहानी पढ़ी जाती है।