धर्म डेस्क: हर इंसान के पास पैसे की चाहत होती है। जिसके पास होता है उसे और कमाने की चाह होती है। जिसके पास कम होता है उसे थोड़े की चाहत है। पैसा एक ऐसी चीज है जो कि किसी के पतन का कारण भी बन सकती है। तो किसी को कुछ बना देती है।
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आज के समय में पैसे कि अहमियत रिश्तों से ज्यादा दी जाती है। शास्त्रों में कहा जाता है कि आपके पास जितना पैसा है अगर उससे थोड़ा सा भी किसी नेक काम में लगाओगे तो वह दुगुना हो जाता है साथ ही पुण्य का काम होता है।
पैसे के आधार पर राजा विक्रमादित्य के भाई भर्तृहरि ने धन की तीन गतियां बताई हैं। जिनका अनुसरण करने से आपके घर कभी भी कोई समस्या न होगी। साथ ही धन-धान्य की कमी नहीं होगी। इन तीन गतियों के बारें में बताया है कि धन इन तीन की गतियों के अधीन होता है। जो मनुष्य अपने धन के पर पहली दो गतियां नहीं लागू करता उसका धन तीसरी गति में आकर नष्ट हो जाता है। जानिए और दो गतिया कौन सी है। और वह कैसे किसी को नष्ट कर सकती है।
दानं भोगो नाशस्तिस्त्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य।
यो न ददाति न भुक्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति।।
इस श्लोक का मतलब है कि जो लोग धन का से ये काम नही करते तो वह आपको नाश की ओर ले जाएगा अगर आप धन का दान और उसका भोग न करोगे। जानिए इसके बारें में।
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