धर्म डेस्क: हिंदू धर्म के त्योंहारों में से एक मकर संक्रांति इस बार पूर्णरुप से 15 जनवरी को मनाया जाएगा। अगली साल तिथि के बदलाव के कारण 14 और 15 दोनों दिन ही मकरसंक्राति मनाई गई है। लेकिन इस साल 15 जनवरी, शुक्रवार को ही मकरसंक्रांति मनाई जाएगी।
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ज्योतिषचार्यों के अनुसार 15 जनवरी को सूर्य मकर राशि पर सुबह 7:42 मिनट में प्रवेश करेगा और रात 9:43 मिनट तक रहेगा। दोहर 12 बजे दान-पुण्य का विशेष महत्व है। 14 जनवरी को सूर्य धनु राशि में ही रहेगा, इसलिए इस दिन स्नान, दान आदि करने का कोई महत्व नहीं होगा। यह एक ऐसा त्योहार होता है जो जिसका निर्धारण सूर्य की गति के अनुसार किया जाता है।
2016 में देवताओं के गुरु बृहस्पति का सूर्य देव की सिंह राशि में गोचर होगा। जिससे यह अवधि समस्त शुभ कार्यों के लिए भी महत्वपूर्ण होगी। इस दिन को सूर्य की आराधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता
शताब्दी पंचाग के अनुसार ज्योतिचार्य ने बताया कि साल 2017, 2018 और 2012 को छोड़कर और सभी सालों नमें मकरसंक्रांति 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी। इन तीन वर्षों में सूर्य 14 जनवरी की शाम, रात और दोपहर बाद में मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसलिए इन सालों में संक्रांति 14 और 15 जनवरी दोनों दिन मनाई जाएगी। लेकिन इसके अलावा अन्य सभी शेष सालों में मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मनेगी। वहीं साल 2080 में मकर संक्रांति का पुण्य काल 16 जनवरी को होगा और मकर संक्रांति का त्योहार 15 या 16 दोनों ही दिन मनाया जा सकेगा।
जानिए क्यों मनाई जाती है मकरसंक्रांति
सूर्य अपनी स्वाभाविक गति से प्रत्येक साल 12 राशियों मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन में 360 अंश की परिक्रमा करते हैं। एक राशि में तीस अंश का भोग करते हुए सूर्य दूसरी राशि में जाते हैं। धनु राशि को छोड़ जब सूर्य मकर राशि में आते हैं तो इसी कारण मकर संक्रांति मनाई जाती है।
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