धर्म डेस्क: 31 अक्टूबर को देवोत्थानी एकादशी है। इसे प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन चातुर्मास की समाप्ति का दिन है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की हरिशयनी एकादशी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तक, इन चार महीनों के दौरान चातुर्मास होते हैं।
अगर आपकी कुंडली में गुरु ग्रह का दोष है जिसके कारण आपकी शादी और भाग्य जैसी समस्याओं का सामना करना पड रहा है और यदि आपके अनूकुल स्थितियां होते हुए भी आपके विवाह में समस्या उत्पन्न हो रही है तो 31 अक्टूबर आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
कहा जाता है कि कि चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु का शयनकाल होता है, वे क्षीरसागर में जाकर विश्राम करते हैं, इसलिए इन चार महीनों के दौरान विवाह आदि सभी शुभ कार्य बन्द होते हैं। हरिशयनी एकादशी 4 जुलाई को थी और मंगलवार को देवोत्थानी एकादशी है, यानी कि देवों के जागने का दिन। इसके साथ ही शादी-ब्याह आदि सभी मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जायेंगे। साथ ही इस दिन ईख रस प्राशन, यानी कि गन्ने के रस का सेवन भी किया जाता है।
- आपके जीवन में कभी किसी प्रकार का संकट न आये, आपकी गाड़ी बिना किसी रूकावट के चलती रहे, इसके लिये आज देवउठनी एकादशी के दिन सुबह-शाम तुलसी के पौधे के नीचे गाय के घी का दीपक जला कर 'ऊं वासुदेवाय नम:' मंत्र बोलते हुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें। इससे आपके जीवन की सारी परेशानियां छू मंतर हो जायेंगी।
- धन-सम्पदा की इच्छा रखने वालों को या जिनके पास पैसों की कमी है, उन्हें आज के दिन विष्णु मंदिर में जाकर भगवान विष्णु को सफेद मिठाई या अपने हाथों से बनी खीर का भोग लगाना चाहिए। खीर में तुलसी के पत्ते डालना न भूलें और अगर मिठाई चढ़ा रहे हैं तो उस पर एक तुलसी का पत्ता रखकर भगवान को अर्पित कर दें, आपकी मनोकामना जरूर पूरी होगी।
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