सूर्य कर रहा है ज्येष्ठा नक्षत्र में प्रवेश, नाम के पहले अक्षर से जानिए किन लोगों के जीवन पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर
2 दिसंबर शाम 6 बजकर 34 मिनट पर सूर्यदेव ज्येष्ठा नक्षत्र में जायेंगे। सूर्यदेव के ज्येष्ठा नक्षत्र में जाने से अलग-अलग राशि और नक्षत्र वालों को अलग-अलग फल प्राप्त होंगे।
मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि और बुधवार का दिन है। द्वितीया तिथि शाम 6 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार 2 दिसंबर शाम 6 बजकर 34 मिनट पर सूर्यदेव ज्येष्ठा नक्षत्र में जायेंगे और 15 दिसंबर को रात 9 बजकर 32 मिनट तक सूर्यदेव यहीं पर रहेंगे। सूर्यदेव के ज्येष्ठा नक्षत्र में जाने से अलग-अलग राशि और नक्षत्र वालों को अलग-अलग फल प्राप्त होंगे। तो किस नक्षत्र और किस नाम वाले लोगों को सूर्यदेव के ज्येष्ठा नक्षत्र में इस गमन से क्या फल मिलेगा और उसके लिये क्या उपाय करने चाहिए।
न’ , ‘य’ , ‘भ’, ध, ‘फ’ , ‘ढ’ अक्षर वाले लोग
जिनका जन्म ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में हुआ हो या जिनका नाम ‘न’ , ‘य’ , ‘भ’, ध, ‘फ’ , ‘ढ’ अक्षर से शुरू होता हो , उन्हें अपने घर में या ऑफिस में बिजली व आग से संबंधित चीज़ों के साथ सावधानी पूर्वक रहना चाहिए। साथ ही अगर आप घर बनाने की सोच रहे हैं, तो 15 दिसंबर तक टालना ही आपके लिये अच्छा होगा। सूर्यदेव की अशुभ स्थिति से बचने के लिये रात के समय 5 मूली या 5 बादाम सिरहाने रखकर सोएं और अगले दिन उन्हें किसी मन्दिर में दे आएं।....
‘भ’ , ‘ज’ , ‘ख’ , ‘ग’ , ‘स’ अक्षर वाले लोग
जिनका जन्म उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, धनिष्ठा नक्षत्र और शतभिषा नक्षत्र में हुआ हो या जिनके नाम का पहला अक्षर ‘भ’ , ‘ज’ , ‘ख’ , ‘ग’ , ‘स’ अक्षर से शुरू होता हो। उनके काम की गति इस बीच कुछ थम सकती है। आपको लेजीनेस फील हो सकती है। अपनी इस स्थिति में सुधार के लिये और काम की गति को बढ़ाने के लिये 15 दिसंबर तक सिर ढंककर कर रखें।
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‘स’ , ‘द’ , ‘थ’ , ‘झ’ ,‘ञ’ ,‘च’ , ‘ल’ अक्षर वाले लोग
जिनका जन्म पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र और अश्विनी नक्षत्र में हुआ हो या जिनका नाम ‘स’ , ‘द’ , ‘थ’ , ‘झ’ ,‘ञ’ ,‘च’ , ‘ल’ अक्षर से शुरू होता हो। उन लोगों के काम में स्थिरता आयेगी। अपने कामों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये इस दौरान घर में अगर पीतल के बर्तन हैं तो उन्हीं में खाना खाएं और 15 दिसंबर तक काले या नीले कपड़े पहनना अवॉयड करें।
‘ल’ , ‘अ’ , ‘ई’ , ‘उ’ , ‘ए’ , ‘व’ अक्षर वाले लोग
जिनका जन्म भरणी नक्षत्र में हुआ हो, कृतिका नक्षत्र में हुआ हो या रोहिणी नक्षत्र में हुआ हो या जिनका नाम ‘ल’ , ‘अ’ , ‘ई’ , ‘उ’ , ‘ए’ , ‘व’ अक्षर से शुरू होता हो। उन लोगों की किस्मत की बन्द चाभी खुलने वाली है। आने वाली 15 दिसंबर तक आपके ऊपर लक्ष्मी की भरपूर कृपा रहेगी, लिहाजा आपको धन-सम्पत्ति की प्राप्ति होगी। अच्छे फल सुनिश्चित करने के लिये 15 दिसंबर तक कुछ मीठा खाने के बाद पानी पीकर ही घर से बाहर जायें।
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‘व’ , ‘क’ , ‘घ’ , ‘ङ’ , ‘छ’ , ‘ह’ , ‘ड’ अक्षर वाले लोग
अगले चार नक्षत्रों की, यानी जिन लोगों का जन्म मृगशिरा नक्षत्र में हुआ हो, आर्द्रा नक्षत्र में हुआ हो, पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ हो और पुष्य नक्षत्र में हुआ हो या जिन लोगों का नाम ‘व’ , ‘क’ , ‘घ’ , ‘ङ’ , ‘छ’ , ‘ह’ , ‘ड’ अक्षर से शुरू होता हो। उन लोगों को 15 दिसंबर तक हर प्रकार से लाभ मिलेगा। लाभ की स्थिति सुनिश्चित करने के लिये रात को भोजन करने के बाद चूल्हे की आग को दूध से बुझाएं।
‘ड’ , ‘म’ , ‘ट’ अक्षर वाले लोग
जिन लोगों का जन्म आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में हुआ हो या जिनके नाम का पहला अक्षर ‘ड’ , ‘म’ , ‘ट’ अक्षर से शुरू होता हो। उनके घर के मुखिया को इस दौरान कुछ परेशानी हो सकती है। अगर आप स्वयं घर के मुखिया हैं तो आरामपूर्वक और सोच-समझकर अपना काम करें। परेशानियों से बचने के लिये पक्षियों को दाना डालें।
‘ट’ , ‘प’ , ‘ष’ , ‘ण’ , ‘ठ’ , ‘र’ , ‘त’ अक्षर वाले लोग
जिन लोगों का जन्म उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र और स्वाती नक्षत्र में हुआ हो या जिन लोगों का नाम ‘ट’ , ‘प’ , ‘ष’ , ‘ण’ , ‘ठ’ , ‘र’ , ‘त’ अक्षर से शुरू होता हो। उन्हें इस दौरान आर्थिक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आपको अपने पैसे संभालकर रखने चाहिए। अशुभ स्थिति से बचने के लिये अपना आचरण अच्छा बनाए रखें और 15 दिसंबर तक किसी जरूरतमंद को कम से कम एक समय भोजन कराएं।
‘त’ , ‘न’ , ‘य’ अक्षर वाले लोग
जिन लोगों का जन्म विशाखा नक्षत्र में हुआ हो, अनुराधा नक्षत्र में हुआ हो और ज्येष्ठा नक्षत्र में हुआ हो या जिनका नाम ‘त’ , ‘न’ , ‘य’ अक्षर से शुरू होता हो। उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी हो सकती है। साथ ही भय हो सकता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिये 15 दिसंबर तक किसी धर्मस्थल या मन्दिर में नारियल तेल या बादाम देते रहें।